शाम चार बजे तक यातायात रहा ठप, दुकानें भी रही बंद

कृषि कानून रद करने की मांग पर अड़े किसान संगठनों की हड़ताल जारी रही।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 04:35 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 04:35 PM (IST)
शाम चार बजे तक यातायात रहा ठप, दुकानें भी रही बंद
शाम चार बजे तक यातायात रहा ठप, दुकानें भी रही बंद

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

कृषि कानून रद करने की मांग पर अड़े किसान संगठनों की सोमवार को देशव्यापी बंद की काल के तहत फरीदकोट जिले के विभिन्न हिस्सों में किसान संगठनों द्वारा सड़क व रेलवे ट्रैक पर बैठकर धरना-प्रदर्शन किया गया। सोमवार को बहुत कम लोग घरों से बाहर निकले, जिससे सड़कों व बाजारों में एक तरह से सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। हालांकि दोपहर बाद किसानों की ओर से बंद में ढील दिए जाने के बाद कुछ दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानें खोली गई, और लोग जरूरी काम के लिए घरों से बाहर निकले। सड़कों पर धरने लगे होने के कारण शहर से बाहर आवागमन करने में लोगों ने परहेज ही रखा।

फरीदकोट जिले में कुल नौ जगहों पर किसानों द्वारा धरना-प्रदर्शन किया, इसमें फरीदकोट, गोलेवाला, सादिक, कोटकपूरा, जैतो, बाजाखाना में किसान संगठन के सदस्य सड़कों के ऊपर टेंट लगाकर धरने पर बैठे जबकि रोमाणा अलबेल सिंह स्टेशन पर किसान संगठन के सदस्य रेलवे ट्रैक पर बैठ कर रेलगाड़ियां का आवागमन ठप करने की कोशिश की। हालांकि रेलवे द्वारा पूर्व में ही दिन भर के लिए फिरोजपुर-बठिडा सेक्शन पर चलने वाली रेलगाड़ियों को रद करने के साथ सस्पेंड रखा। धरने को किसान संगठनों के नेताओं द्वारा संबोधित किया गया।

भारत बंद की काल को समर्थन दिए जाने की मांग पिछले कई दिनों से किसान संगठनों द्वारा की जा रही थी, जिसका लोगों का साथ भी संगठनों को मिला। पूरे जिले में धरना-प्रदर्शन कर किसानों द्वारा कर आवागमन ठप रखने की कोशिश की गई, परंतु इससे मेडिकल सुविधाओं व एंबुलेंस को बाहर रखा गया। बंद के दौरान गांव से दोधियों द्वारा शहर दूध नहीं लाया गया। इक्का-दुक्का जिन दोधियों की ओर से शहर दूध लाने का प्रयास किया गया, उन्हें किसानों, द्वारा लौटा दिया गया, इसके कारण कई लोगों के घरों में दूध नहीं पहुंचा। कुछ दोधियों द्वारा रविवार की शाम को ही सोमवार की सुबह न आने की बात कहते हुए दूध वितरित कर दिया गया था।

बाक्स-

सरकारी दफ्तर व अस्पताल रहे खुले

किसानों की बंद की काल को भाजपा को छोड़कर ज्यादातर राजनीतिक दलों व संगठनों द्वारा अपना समर्थन दिया गया। सरकारी दफ्तर व सरकारी अस्पताल खुले तो रहे परंतु वहां आने वाले लोगों की संख्या काफी कम रही। यातायात ठप रहने के कारण सरकारी अस्पतालों में नाममात्र मरीज अपना उपचार करवाने के लिए पहुंचे।

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