बहुत जरूरी होने पर ही आज आएं अस्पताल

एनपीए बहाली की मांग पर अड़े डाक्टर व सरकार की ओर से आज हड़ताल की जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 03:27 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 03:27 PM (IST)
बहुत जरूरी होने पर ही आज आएं अस्पताल
बहुत जरूरी होने पर ही आज आएं अस्पताल

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट

एनपीए बहाली की मांग पर अड़े डाक्टर व सरकार की जिद के बीच मरीज पिस रहे हैं। मरीजों की न तो डाक्टर सुन रहा है, और न ही डाक्टरों की मांग प्रदेश सरकार पूरी कर रही है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए हड़ताली डाक्टर्स सोमवार को पूरी तरह से इमरजेंसी को छोड़कर सभी सेवाएं ठप करने के साथ ही सिविल सर्जन दफ्तर का भी काम बाधित करे।

सेहत विभाग के साथ ही मेडिकल कालेज अस्पताल के डाक्टर्स भी सोमवार को पूरी तरह से हड़ताल पर रहंगे। इस दौरान मेडिकल कालेज अस्पताल में भी केवल इमरजेंसी वार्ड में ही मरीजों को देखा जाएगा। डाक्टरों की हड़ताल से सोमवार को उन सभी मरीजों को परेशानी होगी, जो कि ओपीडी में डाक्टर्स को दिखाने आने वाले हैं। डाक्टरों द्वारा दी गई चेतावनी के तहत यदि सोमवार को सिविल सर्जन दफ्तर का कामकाज बाधित किया गया तो लोगों को और परेशानी होगी।

पीसीएमएस के प्रदेश उपाध्यक्ष डाक्टर चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि सोमवार व मंगलवार को पूरी तरह से हड़ताल रहेगी, इस दौरान सिविल सर्जन दफ्तर का कामकाज भी रोका जाएगा। उन्होंने मरीजों से अपील की, कि दो दिन वह डाक्टरों की मांगों का समर्थन करे और यदि बहुत जरूरी हो तो वह इमरजेंसी में आकर डाक्टर्स को दिखा सकते है।

इनसेट

एनपीए कटौती के बिना डाक्टरों को सरकार दे रही है वेतन

47 दिनों से डाक्टर हड़ताल पर है, डाक्टरों के हड़ताल पर जाने का कारण उनके एनपीए यानी नान प्रैक्टिस एलाउंस में सरकार द्वारा की गई कटौती है। डाक्टर्स एनपीए में की गई कटौती वापस लिए जाने पर अड़े हुए है, ऐसे में सरकार द्वारा जून और जुलाई माह का डाक्टरों का जो वेतन जारी किया गया है, वह पुरानी एनपीए पालसी के तहत जारी किया गया है, जिसमें डाक्टरों कोई नुकसान नहीं हुआ है। परंतु डाक्टरों को डर है कि यदि सरकार नई एनपीए घोषणा लागू करती है तो उन्हें हजारों रुपए का मासिक नुकसान होगा। इनसेट

1989 में डाक्टरों की सबसे लंबी चली थी हड़ताल

क्लास टू से क्लास वन में शामिल किए जाने की मांग को लेकर पंजाब सरकार के डाक्टरों की अब तक के इतिहास में सबसे लंबी हड़ताल 1989 में चली थी। यह हड़ताल 90 दिनों की थी, जिसके तहत पूरे प्रदेश में सरकारी डाक्टरों ने कामकाज ठप रखा था। चुनावी साल में एक बार फिर डाक्टर्स अपनी मांग को लेकर हड़ताल पर है, और उनकी इस हड़ताल ो 47 दिन का हो गया है।

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