कांग्रेस ने पुलिस की काईवाई को बताया सही

पुलिस के विरोध में सादिक के दुकानदारों द्वारा अपनी मांगों को लेकर शुरू किया संघर्ष अब राजनीतिक रूप लेता दिखाई दे रहा है। बुधवार को दुकानदारों के संघर्ष को शिअद द्वारा अपना समर्थन देते हुए दुकानदारों के साथ डट कर चक्का जाम व धरने में भाग लिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 12:24 AM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 06:12 AM (IST)
कांग्रेस ने पुलिस की काईवाई को बताया सही
कांग्रेस ने पुलिस की काईवाई को बताया सही

जागरण संवाददाता, फरीदकोट :

पुलिस के विरोध में सादिक के दुकानदारों द्वारा अपनी मांगों को लेकर शुरू किया संघर्ष अब राजनीतिक रूप लेता दिखाई दे रहा है। बुधवार को दुकानदारों के संघर्ष को शिअद द्वारा अपना समर्थन देते हुए दुकानदारों के साथ डट कर चक्का जाम व धरने में भाग लिया गया।

ऐसे में अपनी सरकार की पुलिस की हो रही किरकरी को देखते हुए वीरवार की शाम दुकानदारों के इस संघर्ष के विरोध में कांग्रेस के नेता भी उतर गए। कांग्रेस नेता सरपंच शिवराज सिंह, पूर्व सरपंच दीपक कुमार सोनू, ब्लॉक समिति सदस्य लखबीर सिंह लक्खा व अन्य आठ नेताओं द्वारा वीरवार की शाम सादिक में कुछ दुकानदारों के साथ बैठक कर कहा गया कि पुलिस ने अपनी कार्यवाई सही की है, महिला चोर गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, ऐसे में बाजार बंद करने व ट्रैफिक का चक्का जाम करने से लोगों को परेशानी हो रही है, सभी दुकानदार दुकान खोले उन्हें दुकान खोलने से कोई नहीं रोकेंगे।

कांग्रेस नेताओं की दुकानदारों के साथ देर शाम हुई यह बैठक, पीड़ित दुकानदार को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत सादिक के दुकानदारों को पच नहीं रही है। नाम न छापने की शर्त पर दो दुकानदारों ने बताया कि उनके साथी दुकानदार के साथ घटित हुई इस घटना में पुलिस मामले को रफा-दफा करना चाह रही है, जिसके लिए वह लोग संघर्ष कर रहे है, बुधवार को बिन बुलाए शिअद ने अपना समर्थन दिया और अब कांग्रेस उन लोगों के संघर्ष को कम करने के लिए दुकानें खोलने को कह रही है, यह संघर्ष दुकानदारों का पुलिस के विरूद्ध शांतिमय था, परंतु शिअद-कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इसमें कूद रहे है जो कि गलत है।

जानबूझ कर करवाया जा रहा है मामले का राजनीतिकरण-

सादिक कस्बे की सियासत को नजदीक से समझाने वाले मनविदर सिंह ने बताया कि दुकानदारों के संघर्ष से पुलिस-प्रशासन पर भारी दबाव बना हुआ था, ऐसे में एक अधिकारी द्वारा अपनी नौकरी बचाने के लिए पर्दे के पीछे से मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है, ताकि लोगों का ध्यान बंट जाए और मामले को दबा दिया जाए।

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