दबाव बढ़ाने के लिए हड़ताली डाक्टर सोमवार से सिविल सर्जन दफ्तर का रोकेंगे काम
एनपीए में की गई कटौती का फैसला वापस लेने में सरकार कोताही बरत रही है।
जागरण संवाददाता, फरीदकोट
एनपीए में की गई कटौती का फैसला वापस लेने में सरकार की ओर से हो रही हीलाहवाली को देखते हुए सरकार पर और दबाव बढ़ाने के लिए प्रदेश भर के हड़ताली डाक्टर सोमवार से अपने संघर्ष को और तेज करते हुए सिविल सर्जन दफ्तर का कामकाज भी रोकेंगे।
पीसीएमएस के प्रदेश उपाध्यक्ष डाक्टर चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि प्रदेश सरकार उन लोगों को बेवजह परेशान कर रही है। उन लोगों को मिलने वाले एनपीए में काटौती कर आखिरकार सरकार क्या हासिल करना चाह रही है। जब तक प्रदेश सरकार एनपीए की पुरानी स्थित सरकार द्वारा बहाल नहीं की जाती है, तब तक वह लोग काम पर नहीं लौटेंगे। सोमवार से संघर्ष को और तेज करते हुए इमरजेंसी व कोरोना महामारी को छोड़कर सभी दूसरी सेवाएं ठप की जाएगी। सिविल सर्जन दफ्तर का कामकाज भी रोकेंगे, क्योंकि सरकार को लग रहा है कि उसका काम आराम से चल रहा है, डाक्टर मरीजों को भी देख रहे हैं। सोमवार से कोई भी सरकारी डाक्टर मरीज को नहीं देखेगा और सिविल सर्जन दफ्तर में भी काम रोका जाएगा।
पीसीएमएस की जिला प्रधान डा. रूपिदर कौर धालीवाल व महासचिव डाक्टर विश्वदीप गोयल ने बताया कि वह लोग मरीजों का उपचार करना चाहते है, परंतु जब उन लोगों को आर्थिक स्तर पर सरकार द्वारा नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, तो उन लोगों के पास हड़ताल करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। सोमवार से पैरलल ओपीडी भी वह लोग नहीं चलाएंगे। अब तक प्रदेश सरकार के सेहतमंत्री ब्रह्म महिद्रा के साथ उन लोगों की चार दौर की बातचीत हो चुकी है, और हर बार खाली आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है। अब गेंद सरकार के पाले में है, वह डाक्टरों की मांगों को मानकर मरीजों को बेहतर सेहत सुविधाएं मुहैया करवाना चाहती है, या फिर ऐसे ही डाक्टर व मरीजों को परेशान होते देखना चाह रही है। इनसेट
सरकार डाक्टरों से करे बात
डाक्टर ही नहीं, दूसरे विभागों के भी अधिकारी, कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल व धरना-प्रदर्शन कर रहे है, जिससे अधिकांश सरकारी दफ्तरों की कार्यप्रणाली पटरी से उतर गई है। जरूरत है कि सरकार सरकारी कर्मियों से वार्ता कर उन्हें कामकाज करने के लिए तैयार करे, जिससे लोगों की परेशानियां कम हो।