बाबा फरीद आगमन पर्व आज से
12वीं सदी के महान सूफी संत बाबा शेख फरीद जी को समर्पित पांच दिवसीय मेला आज से शुरू होगा।
जागरण संवाददाता, फरीदकोट
12वीं सदी के महान सूफी संत बाबा शेख फरीद जी को समर्पित पांच दिवसीय आगमन पर्व 19 सितंबर रविवार से शुरू होने जा रहा है। इसका आगाज सुबह छह बजे गुरुद्वारा टिल्ला बाबा फरीद में श्री सुखमणि साहिब जी के पाठ व अरदास से किया जाएगा।
बाबा शेख फरीद जी का फरीदकोट शहर के साथ गहरा व अटूट रिश्ता है। वे वर्ष 1215 में यहां पधारे थे। उस समय इस शहर का नाम यहां के राजा मौकलहर के नाम पर था। बेरहम राजा ने शहर में आए बाबा फरीद जी को बंदी बना लिया था, लेकिन बाबा जी के चमत्कार से राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ। राजा ने बाबा फरीद जी के चरण छूते हुए माफी मांगी। यहां पर 40 दिनों तक तपस्या करने के बाद बाबा जी यहां से पाकपटन (अब पाकिस्तान) रवाना हो गए। उस दिन से शहर का नाम मौकलहर से बदल कर फरीदकोट रखा गया। बाबा फरीद जी ने अपनी वाणी में मानवता की सेवा का संदेश दिया। उनके 112 श्लोक व चार शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी दर्ज है। उनके चरण छोह वाले स्थानों पर गुरुद्वारा टिल्ला बाबा फरीद व गुरुद्वारा गोदड़ी साहिब बने हुए हैं, और यहां हर वीरवार को हजारों लोग नमन करने आते हैं। उनके पावन स्थानों की देखभाल कर रही बाबा फरीद सोसायटी ने धार्मिक, सामाजिक व शिक्षा क्षेत्र के माध्यम से बाबा फरीद के नाम को विश्व भर में विख्यात किया है। बाक्स-
मेले को मिला है विरासती दर्जा सोसायटी की तरफ से चेयरमैन इंद्रजीत सिंह खालसा की अगुवाई में बाबा फरीद जी के नाम पर एक स्कूल व एक ला कालेज चलाया जा रहा है। हर वर्ष जिला प्रशासन व बाबा फरीद सोसायटी की तरफ से 19 से 23 सितंबर तक बाबा फरीद आगमन पर्व मनाया जाता है और इस मेले को राज्य सरकार ने विरासती मेले का दर्जा प्रदान किया हुआ है। बाक्स
सांस्कृतिक, खेल, नाटक, लोक गायक कार्यक्रम नहीं होगा
लगातार दूसरी साल भी कोरोना महामारी के कारण इस बार मेले में सांस्कृतिक, खेल, नाटक, लोक गायक आदि कार्यक्रम नहीं हो रहे है। धार्मिक कार्यक्रम को शार्ट कर दिया गया है। हालांकि बाबा फरीद सोसाइटी द्वारा दिया जाने वाला बाबा फरीद ईमानदारी एवार्ड और भगत पूरण सिंह मानवता एवार्ड दिया जा रहा है, जो कि 23 सितंबर को दिया जाना है।