तीन साल से खेत में ही मिला रहे पराली
फरीदकोट जिले के गांव ढुढ़ी के प्रगतिशील किसान जगरूप सिंह ने तीन साल से पराली नहीं जलाई।
जासं, फरीदकोट
फरीदकोट जिले के गांव ढुढ़ी के प्रगतिशील किसान जगरूप सिंह ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से प्रेरित होकर अपनी 20 एकड़ जमीन में धान और गेहूं के अवशेष में आग न लगाकर उसे अपने खेत में मिलाया जिससे उसे फसल की बेहतर पैदावार मिल रही है।
किसान जगरूप सिंह ने बताया कि पराली को जलाने के कारण मानव जीवन, पर्यावरण को होने वाले नुकसान की पूरी जानकारी न होने से वह भी तीन साल पहले तक पराली को जलाते थे। जब उन्हें पराली के जलाने से उत्पन्न होने वाली समस्या के बारे में बता चला तो उन्होंने पराली न जलाने का फैसला गया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब भी हमें धरती, हवा व पानी को शुद्ध रखने की सीख देता है। अब वह पाराली को आग नहीं लगा रहे हैं जिससे खेत में किसान हितैषी कीट नहीं नष्ट हो रहे है, और जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। पराली में मौजूद पोषक तत्व जल कर नष्ट हो जाते हैं, हवा प्रदूषित होती है, जिससे इंसानों और जानवरों के लिए सांस लेना और पूरे वातावरण को प्रदूषित करना मुश्किल हो जाता है।
यह प्रगतिशील किसान लंबे समय से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फरीदकोट के साथ समन्वय बनाकर रहा है और वह समय-समय पर विभाग के विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त करता रहा है, कि खेत में पुआल कैसे रखा जा सकता है। उन्होंने तीन साल पहले सुपरसीडर से गेहूं की बुआई शुरू की थी। उन्होंने बताया कि वह पुआल की गांठें बनाकर पुआल से मुनाफा कमाते हैं और उसे हुकुमत सिंह वाला में बायो मास प्रोजेक्ट बेचते हैं। किसान जगरूप सिंह ने अन्य किसानों से अपील की कि वे अपने खेतों में फसल बर्बाद करने के लिए आग न लगाएं क्योंकि इससे हमारी आने वाली पीढि़यों पर बुरा असर पड़ता है और पैदा होने वाले धुएं के कारण जानमाल का भी खासा नुकसान होता है।
जिला मुख्य कृषि अधिकारी डा. बलविदर सिंह, डा. यादविदर सिंह एडीओ, डा. रमनदीप सिंह संधू ने जिले के किसानों से पर्यावरण संरक्षण और धरती की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिए धान के भूसे में आग न लगाने की अपील भी की।