विद्यार्थियों की पहली पसंद बना बलबीर स्कूल बुलंदियों को

सरकारी स्कूलों की बदली नुहार विद्यार्थियों व अभिभावकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 10:57 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 10:57 PM (IST)
विद्यार्थियों की पहली पसंद बना बलबीर स्कूल बुलंदियों को
विद्यार्थियों की पहली पसंद बना बलबीर स्कूल बुलंदियों को

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट : सरकारी स्कूलों की बदली नुहार विद्यार्थियों व अभिभावकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। निजी स्कूलों की अपेक्षा अब सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों का दाखिला बढ़ रहा है, इसका बड़ा उदाहरण सरकारी बलबीर सीनियर सेकेंडरी स्कूल है। रियासतकालीन इस स्कूल में जिले के अन्य सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की अपेक्षा सबसे ज्यादा विद्यार्थियों के दाखिले हुए हैं।

स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने का बड़ा कारण स्कूल के प्रिसिपल राजेश शर्मा स्कूल में इंफ्राट्रक्चर में सुधार के साथ गुणवत्तापरक शिक्षा होना बता रहे है।

उन्होंने बताया कि गत शिक्षण सत्र में स्कूल में कुल 811 दाखिला हुआ था, जबकि इस बार अब तक 1031 विद्यार्थियों द्वारा दाखिला लिया जा चुका है, जबकि इस आंकड़े के 1100 तक पहुंचने की आशा है। उन्होंने बताया कि स्कूल में 52 शिक्षकों का स्टाफ है जो कि विद्यार्थियों को गुणवक्तापरक शिक्षा देने के लिए समर्पित है। प्रिसिपल ने बताया कि वह स्कूल का शिक्षण स्तर सुधारने के लिए पूरी तरह से समर्पित है, इसका प्रमाण है कि पिछले दो साल में वह मात्र 20 दिनों की छुट्टी लिए हैं।

डिप्टी डीईओ प्रदीप देवड़ा ने बताया कि जिले में निश्चित रूप से बलबीर स्कूल में सबसे ज्यादा दाखिला हुआ है, इसके अलावा दूसरे भी सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ा है। जिले में कुल 42 सीनियर सेकंडरी स्कूल है, जिनमें गत वर्ष कुल 33100 के लगभग दाखिले विद्यार्थियों द्वारा लिए गए थे, जबकि इस वर्ष यह संख्या 38000 से ज्यादा पहुंच गई है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के दाखिले बढ़ने का बड़ा कारण स्कूल व कक्षाओं के स्मार्ट होने के साथ गुणवत्तापरक शिक्षा है। फरीदकोट में पांच निजी सीसी स्कूल पहुंचे बंद होने के कगार पर

फरीदकोट शहर में पिछले दशकों में कुछ जिन निजी स्कूलों का सीनियर सेकेंडरी की पढ़ाई में दबदबा रहा है, वह अब बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। इनमें से कुछ स्कूलों का स्टाफ पिछले कई महीने से स्कूल ही नहीं आया। निजी स्कूलों से विद्यार्थियों के दूर होने का बड़ा कारण प्रबंधकों की उपेक्षा व भारी-भरकम फीस है, जिसे कोरोना काल में आर्थिक बदहाली से जूझ रहे अभिभावकों के लिए वाहन करना मुश्किल भरा साबित हो रहा है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार बंद होने के कगार पर पहुंचे निजी स्कूलों की वास्तविक स्थित स्कूलों के पूरी तरह से खुलने के बाद ही स्पष्ट होगी।

फरीदकोट रियासत का शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान

फरीदकोट में बराड़ वंश के अंतिम राजा हरिद्र सिंह ने 17 अक्टूबर 1934 को फरीदकोट रियासत के राजा के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने अपने समय में इमारतों का निर्माण करवाया तथा उच्च शिक्षा के प्रबंध किए। कामर्स का कालेज पेशावर तथा दिल्ली के बाद अकेले फरीदकोट में ही मौजूद था। राजा हरिंद्र सिंह ने बृजेंद्रा कालेज, जूनियर बेसिक ट्रेनिग स्कूल, विक्रम कालेज आफ कामर्स, खेतीबाड़ी कालेज, आर्ट तथा क्राफ्ट स्कूल के अलावा उस समय फरीदकोट रियासत में आठ हाई स्कूलों तथा हर गांव में एक प्राइमरी स्कूल सहित स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण करवाया। रियासत के समय इतना मजबूत शिक्षण प्रणाली सिस्टम उस समय आसपास के हिस्सों में नहीं दिखाई देता है। फरीदकोट बृजेंद्रा कालेज की स्थापना 1942 में हुई, हालांकि इस इमारत में 1913 से लेकर 1942 तक स्कूल चल रहा था। रियासतकालीन इमारत में चल रहे बृजेंद्रा कालेज का अपना अलग ही इतिहास है।

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