मानवता का संदेश देती है बाबा फरीद की वाणी

बाबा फरीद जी ने अपनी वाणी में मानवता की सेवा का संदेश दिया। उनके 112 श्लोक व 4 शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में भी दर्ज है। उनके चरण छोह वाले स्थानों पर गुरुद्वारा टिल्ला बाबा फरीद व गुरुद्वारा गोदड़ी साहिब बने हुए हैं और यहां हर वीरवार को हजारों लोग नमन करने आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:53 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 09:53 PM (IST)
मानवता का संदेश देती है बाबा फरीद की वाणी
मानवता का संदेश देती है बाबा फरीद की वाणी

जागरण संवाददाता, फरीदकोट : बाबा फरीद जी ने अपनी वाणी में मानवता की सेवा का संदेश दिया। उनके 112 श्लोक व 4 शबद श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में भी दर्ज है। उनके चरण छोह वाले स्थानों पर गुरुद्वारा टिल्ला बाबा फरीद व गुरुद्वारा गोदड़ी साहिब बने हुए हैं और यहां हर वीरवार को हजारों लोग नमन करने आते हैं।

उनके पावन स्थानों की देखभाल कर रही बाबा फरीद सोसायटी ने धार्मिक, सामाजिक व शिक्षा क्षेत्र के माध्यम से बाबा फरीद के नाम को विश्व भर में विख्यात किया है। सोसायटी की तरफ से चेयरमैन इंद्रजीत सिंह खालसा व सेवादार महीपइंद्र सिंह सेखों की अगुवाई में बाबा फरीद जी के नाम पर एक स्कूल व एक लॉ कालेज चलाया जा रहा है।

बाबा शेख फरीद ने जिस पेड़ में अपने हाथ पोछे वह आज भी है सुरक्षित

बाबा शेख फरीद जी से संबंधित करीब आठ सदियों पुराना वृक्ष दोबारा फिर हरा-भरा हो गया है। कुछ समय पहले यह वन का पेड़ सूखना शुरू हो गया था। माना जाता है कि बाबा शेख फरीद जी ने अपनी फरीदकोट फेरी के दौरान इस वन के पेड़ से अपने गारे से सने हाथ लगाए थे। पेड़ का वह हिस्सा आज भी टिल्ला बाबा फरीद में सुरक्षित है। इससे बाबा फरीद जी ने अपने हाथ साफ किए थे।बाबा फरीद संस्थाओं के सेवादार महीपइंद्र सिंह सेखों ने लोगों की अपील के बाद पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना के माहिर विज्ञानियों को टिल्ला बाबा फरीद में इस एतिहासिक वृक्ष की पड़ताल करने के लिए बुलाया था। यूनिवर्सिटी के वृक्ष विज्ञानियों ने लंबी जांच पड़ताल के बाद इस सदियों पुराने वृक्ष का वैज्ञानिक विधि से इलाज किया, जिससे करीब सालभर बाद यह वृक्ष दोबारा हरा-भरा हो गया है। इससे पहले खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने श्री हरिमंदिर साहिब में दुख भंजनी बेरी को सुरक्षित रखने के लिए भी यही तकनीक अपनाई थी। सेखों ने कहा कि दोबारा हरे-भरे हुए एतिहासिक वृक्ष को संभालने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले हजारों श्रद्धालु इस एतिहासिक वृक्ष के पास सरसों का तेल चढ़ाते हैं, जिस कारण इस वृक्ष को नुकसान पहुंचना शुरू हो गया था। उन्होंने कहा कि अब इस एतिहासिक वृक्ष के नजदीक तेल का प्रयोग न करने की अपील की गई है। हर साल दुनिया भर से हजारों लोग इस एतिहासिक स्थान को देखने के लिए आते हैं।

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