तीन से पांच क्विटल प्रति एकड़ घटा धान का उत्पादन

धान बिजाई के समय तापमान अधिक रहने का दुष्परिणाम धान की पैदावार कम होने के रूप में दिखाई दे रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Oct 2019 04:59 PM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 04:59 PM (IST)
तीन से पांच क्विटल प्रति एकड़ घटा धान का उत्पादन
तीन से पांच क्विटल प्रति एकड़ घटा धान का उत्पादन

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

धान बिजाई के समय तापमान अधिक रहने का दुष्परिणाम धान की पैदावार कम होने के रूप में दिखाई दे रहा है। जिन किसानों ने अपनी फसल खरीद केंद्रों पर लाई है, वह परेशान है, क्योंकि पिछले धान की पैदावार की तुलना में इस बार 3 से 5 क्विटल प्रति एकड़ की कमी आई है। पिछले सीजन की बात करें तो धान की प्रति एकड़ पैदावार औसतन 32 से 34 क्विटल थी, इस बार यह पैदावार गिरकर 27 से 29 क्विटल रह गई है।

धान की पैदावार में गिरावट का श्रेय लंबे समय तक गर्मी को दिया जा रहा है, क्योंकि इस बार दैनिक तापमान फसल के अनुरूप ज्यादा रहा। सादिक निवासी गुरूसेवक सिंह ने बताया कि इस बार धान की बिजाई के समय मौसम गर्म रहा। उन्होंने बताया कि इस बार के धान लगाने के समय लोकसभा चुनाव का दौर था, इसलिए इस साल मई के पहले सप्ताह में, राज्य सरकार ने 20 जून से एक सप्ताह पहले बुआई की अनुमति देने की घोषणा यानी 13 जून से की थी। इसके अलावा इस बार जब धान की फसल पक रही थी उस समय भी अपेक्षाकृत उच्च तापमान रहा, जिसके कारण दाने सिकुड़ गया।

मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) फरीदकोट बलजिदर सिंह बराड़ ने बताया कि अत्यधिक तापमान के कारण फसल पर प्रतिकूल असर पड़ा। धान पकने के समय भी तापमान अधिक रहा जिसके कारण दाने सिकुड़ गए। विभाग एक अन्य अधिकारी ने बताया कि उच्च तापमान के अलावा, उच्च आ‌र्द्रता के परागण पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और इसने पौधों में अनाज के समग्र गठन को कम किया। अब तक धान की कम समय की किस्में मंडियों तक पहुंची हैं, जिनके पैदावार में काफी गिरावट का रुझान दिख रहा हैं। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि की किस्मों सहित सभी किस्मों की कटाई के बाद, पीएयू जलवायु परिवर्तन और खरीफ मौसम की फसलों पर इसके प्रभाव पर एक अध्ययन करेगा।

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बासमती का भी घटा उत्पादन

सामान्य धान की किस्में वर्तमान समय में मंडियों में आ रही है, जबकि बासमती धान की किस्में अभी मंडियों में आनी है, किसानों द्वारा सामान्य धान की कटाई खत्म होने के बाद, बासमती धान की कटाई कर मंडियों में बेचने के लिए लाया जाता है। ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि बासमती धान की उपज में भी कटौती दिखाई देगी, जिससे किसान चितित है, किसानों का कहना है कि फसल की लागत बढ़ रही है और उत्पादन घटने से उन्हें फायदा होने की जगह नुकसान पहुंच रहा है, जो उनकी अर्थिक हालात को और बिगाड़ने वाला होगा।

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