जीरकपुर में खुले में शौच मुक्त के दावे हो रहे खोखले, तीन लाख से ज्यादा आबादी लेकिन सार्वजनिक शौचालाय नहीं

जीरकपुर में तीन लाख से ज्यादा की आबादी है लेकिन फिर भी जिन जगहों पर सार्वजनिक शौचालय हैं उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जीरकपुर के ढकोली स्थित शौचालय में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। देखरेख के अभाव में शौचालय बदहाल हो चुके हैं।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 10:37 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 10:37 AM (IST)
जीरकपुर में खुले में शौच मुक्त के दावे हो रहे खोखले, तीन लाख से ज्यादा आबादी लेकिन सार्वजनिक शौचालाय नहीं
जीरकपुर में खुले में शौच से मुक्त करने को लेकर तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं। (जागरण)

मोहाली (जीरकपुर), जेएनएन। तीन लाख से ज्यादा की आबादी। मार्केटों में भारी भीड़ लेकिन सावर्जनिक शौचालाय नहीं। अगर शौचालाय है तो उनकी हालत बेहद खराब। डेराबस्सी सब डिवीजन के अधीन आने वाले जीरकपुर का ये हाल है। ऐसे में प्रशासन के शहर के खुले में शौच से मुक्त करने को लेकर तमाम दावे खोखले साबित हो रहे है। शहर में जिन जगहों पर सार्वजनिक शौचालयों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जीरकपुर के ढकोली स्थित शौचालय में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। देखरेख के अभाव में शौचालय बदहाल हो चुके हैं। यहां तक की शौचालय में दरवाजे एवं पानी की टूटियां तक नहीं हैं।

खुले में शौच से मुक्त को लेकर केंद्र सरकार की ओर से व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए घरों में शौचालयों के साथ ही सार्वजनिक शौचालय भी बनवाए जा रहे हैं लेकिन नगर काउंसिल के अधिकारियों की लापरवाही के चलते लाखों रुपये बेकार हो रहे हैं। स्वच्छता अभियान को भी झटका लग रहा है। जीरकपुर नगर परिषद की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के तहत पिछले साल जीरकपुर को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित करने के लिए करीब 8 जगहों पर सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाना सुनिश्चित किया था।

एनएचएआइ से परमिशन नहीं मिलने के कारण फ्लाईओवर के नीचे व पंचकूला रोड पर कलगीधर एनक्लेव मार्केट के नजदीक शौचालयों का निर्माण नहीं हो पाया। जबकि इन दोनों जगहों पर पब्लिक का आना जाना ज्यादा होता है। जिन दो जगहों ढकोली और अंबेडकर कॉलोनी के ममता एनक्लेव में शौचालय का निर्माण करवाया गया है, उनमें से ढकोली स्थित बनाए गए शौचालयों पर ताला लटका है। ऐसे में ये शौचालय शोपीस बनकर रह गए हैं। लोगों का कहना है कि अगर यहीं हाल रहा तो इस बार भी स्वच्छ भारत मिशन में मोहाली का स्थान पिछड़ेगा। प्रशासन के अधिकारियों को चाहिए कि वे इस ओर ध्यान दे।

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