डिफाल्टर बिल्डरों पर मेहरबान जीरकपुर नगर परिषद
आरटीआइ में विक्टोरिया होम्स के विक्टोरिया फ्लोर बनने के खुलासे।
जागरण संवाददाता, जीरकपुर : जीरकपुर नगर परिषद और डिफाल्टर बिल्डरों की मिलीभगत का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां विक्टोरिया होम्स द्वारा न केवल सरकार को चूना लगाया जा रहा है, बल्कि नियमों का उल्लंघन करके अवैध निर्माण किया जा रहा है। आरटीआइ से मिली जानकारी में कई चीजें सामने आई हैं। जिससे नगर परिषद के अधिकारियों व डिफाल्टर बिल्डरों की मिलीभगत बेनकाब हुई है। ज्वांइट एक्शन कमेटी के प्रधान सुखदेव चौधरी ने स्थानीय निकाय विभाग तथा नगर परिषद के अधिकारियों से आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मांगी तो उन्होंने पहले तो जानकारी देने से इन्कार कर दिया, लेकिन जब मामला सूचना आयुक्त की अदालत तक पहुंचा तो फटकार के बाद आधी-अधूरी जानकारी देकर बचने का काम किया गया। सुखदेव चौधरी ने बताया कि विक्टोरिया होम्स के मालिकों द्वारा कॉलोनी पास करवाने के लिए जो फीस दी जाती है, वह जान-बूझकर 18 महीने की किश्तों में बदलवा ली गई। बिल्डर द्वारा एक किश्त भरने के बाद नगर परिषद व निकाय अधिकारियों द्वारा कॉलोनी की मंजूरी दे दी गई। इसके बाद बिल्डर ने न तो अन्य किश्तें भरी और न ही नगर परिषद के अधिकारियों ने उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई की। इस तरह से परिषद के अधिकारियों ने बिल्डरों से ली जाने वाली 200 करोड़ रुपये से अधिक की फीस को ठंडे बस्ते में डाल दिया। बिल्डर द्वारा फ्लैट व कॉलोनी बेचकर अगला प्रोजेक्ट शुरू कर दिया जाता है और पिछले प्रोजेक्ट की फीस ऐसे ही रह जाती है। आरटीआइ में मिली जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार द्वारा विक्टोरिया होम्स के नाम से कॉलोनी पास की गई, लेकिन इसे बाद में लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए कौंसिल के अधिकारियों के साथ मिलकर विक्टोरिया फ्लौर का नाम दे दिया गया। सिर्फ फाइलों में ही कार्रवाई करती है नगर परिषद
ज्वांइट एक्शन कमेटी के प्रधान सुखदेव चौधरी ने आरटीआइ के आधार पर बताया कि 20 जुलाई 2018 को फार्च्यून मल्टीटेक विक्टोरिया होम्स को नोटिस दिया गया कि उन्होंने एक भी किश्त नहीं भरी और रजिस्ट्री पर बैन लगा दिया जाएगा। इसके बाद एक अक्टूबर 2019 को नोटिस जारी करके कार्रवाई के लिए चेतावनी दी, मगर कोई कार्रवाई नहीं की। मार्च 2020 में सीएलयू की फीस न भरने के कारण कमेटी ने तहसीलदार को लेटर लिखा कि इनकी कोई भी रजिस्ट्री न हो, मगर रजिस्ट्री यहां निरंतर जारी रही। सात मार्च को विक्टोरिया होम्स ने एमसी को रिक्वेस्ट लेटर डाला कि 31 मई 2020 तक सारी पेमेंट कर देंगे, मगर यह पेमेंट अभी भी पेंडिग है। बिल्डर न तो मूल दे रहे हैं और न ही ब्याज अदा कर रहे हैं। नगर परिषद कोई कार्रवाई नहीं कर रही है और आम लोग बिल्डरों के झांसे में आकर अवैध निर्माण के रूप में बने फ्लैट खरीद रहे हैं। नहीं दी जा रही अन्य कॉलोनियों की जानकारी
सुखदेव चौधरी के अनुसार जीरकपुर में विक्टोरिया होम्स ही नहीं, बहुत सारे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पंजाब सरकार के डिफाल्टर हैं। उनके द्वारा इस बारे में आरटीआइ से सभी बिल्डरों के बारे में जानकारी मांगी गई है, लेकिन निकाय अधिकारी अपनी पोल खुलने के डर से जवाब नहीं दे रहे हैं। अगर यह जानकारी सार्वजनिक हो जाती है तो सैकड़ों करोड़ का घोटाला उजागर होगा।