Yoga Tips पेट की बीमारियों के लिए रामबाण है उत्तानपादासन, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी है सहायक
बीमारियों से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होना बेहद जरूरी है। सेक्टर -23 स्थित गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ योग एजुकेशन एंड हेल्थ के योगाचार्य रोशन लाल बताते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में उत्तानपादासन का अभ्यास शरीर के अति लाभकारी है।
चंडीगढ़, जेएनएन। बीमारियों से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होना बेहद जरूरी है। सेक्टर -23 स्थित गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ योग एजुकेशन एंड हेल्थ के योगाचार्य रोशन लाल बताते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में उत्तानपादासन का अभ्यास शरीर के अति लाभकारी है।
उन्होंने बताया कि इस आसन के अभ्यास से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। यह आसन न सिर्फ हमारे शरीर को लचीला बनाता है, बल्कि हमारे श्वसन व पाचन संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है। पेट से संबंधित तमाम बीमारियों के लिए यह आसन रामबाण है।
उत्तानपादासन करने की विधि
पीठ के बल लेट जाएं। हथेलियों भूमि की तरफ, पैर सीधे और पंजे मिले हुए हों। पहले कुछ सासें लें और खुद को सामान्य कर लें। अब एक लंबी सांस लेते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। पैरों को 30 डिग्री के आसपास ऊपर उठाना चाहिए। अब अपनी क्षमता के अनुसार कुछ देर इसी स्थिति में बने रहें। अब कुछ देर तक पैर यू हीं ऊपर रखें और धीरे -धीरे सांस लें छोड़े। अब एक गहरी सांस छोड़ते समय पैरों को नीचे की ओर आने दें। अब इस तरह उत्तानपादासन का एक चक्र पूरा होता है। शुरुआत में ऐसे दो से तीन चक्र करने चाहिए, इसके बाद में संख्या बढ़ा सकते हैं।उत्तानपादासन करते समय इन सावधानियों का रखें ध्यान
उत्तानपादासन के लाभ पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। आंतों को सबल और निरोगी बनाता है। पेट संबंधी बीमारियों के लिए रामबाण है। हृदय व श्वास रोगों को दूर करता है।