चंडीगढ़ के यशपाल ने कोरोना को हरा डोनेट किया प्लाज्मा, बोले- दूसरों की जिंदगी बचाना ही इंसानियत

कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाला इंसान यदि प्लाज्मा डोनेट करता है तो वह किसी को नई जिदंगी दे रहा हैं। यह सबसे बड़ा धर्म और इंसानियत है कि आप किसी की जान बचा रहे हो। यह कहना है चंडीगढ़ के यशपाल शर्मा का।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 12:34 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 12:34 PM (IST)
चंडीगढ़ के यशपाल ने कोरोना को हरा डोनेट किया प्लाज्मा, बोले- दूसरों की जिंदगी बचाना ही इंसानियत
कोरोना मरीज को प्लाज्मा डोनेट करने वाले यशपाल शर्मा।

चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाला इंसान यदि प्लाज्मा डोनेट करता है तो वह किसी को नई जिदंगी दे रहा हैं। यह सबसे बड़ा धर्म और इंसानियत है कि आप किसी की जान बचा रहे हो। यह कहना है चंडीगढ़ के यशपाल शर्मा का। सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे यशपाल ने बताया कि महामारी की शुरुआत में वह ही कोरोना की चपेट में आ गया था। जब कोरोना हुआ तो किसी को पता नहीं था कि यह क्या बीमारी है और इससे कैसे बचा जा सकते हैं। इसके चलते मन में डर था कि आगे क्या होगा। करीब 20 से 25 दिन तक अस्पताल में रहकर यशपाल कोरोना को मात देकर अपनी सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए हैं।

यशपाल ने बताया कि जब मुझे पता चला कि मेरे प्लाज्मा किसी दूसरे को जिंदगी बचा सकते हैं तो मैंने खुशी हुई और प्लाज्मा डोनेट करने का फैसला किया। जिसमें मेरे परिवार ने भी मेरा सहयोग किया। प्लाज्मा डोनेट करना बिल्कुल अलग अनुभव था। जैसे ही मैंने प्लाज्मा डोनेट किए तो खुद के अंदर आत्मविश्वास का अलग अहसास था, मुझे पहली बार लगा कि मैं किसी के लिए कुछ कर सकता हूं। मेरे प्लाज्मा देने से किसी की जान बच गई जो कि सबसे बड़ी खुशी थी। उन्होंने कहा कि कोरोना से ठीक होने वाला हर कोई प्लाज्मा डोनेट कर सकता है और किसी जरूरतमंद को जिदंगी दे सकते है।

प्लाज्मा डोनेट करने से नहीं आती कमजोरी

प्लाज्मा डोनेशन पर यशपाल ने कहा कि मुझे डोनेशन के बाद किसी प्रकार की काेई कमजोरी महसूस नहीं हुई और मुझे ऐसा लगा कि मैंने कुछ किया है। प्लाज्मा देने में मुझे करीब तीन घंटे का समय लगा क्योंकि पहले टेस्ट किए गए जिसके बाद आगे की प्रक्रिया के लिए समय लगता है।

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