कोरोना को हरा यशपाल ने डोनेट किया प्लाज्मा
कोरोना को हराने के बाद यदि आप प्लाज्मा डोनेट करते है तो वह सिर्फ एक काम नहीं बल्कि किसी को जिदंगी देने के बराबर है। यह कहना है यशपाल शर्मा का। सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे यशपाल ने बताया कि महामारी की शुरूआत में ही कोरोना की चपेट में आ गया था।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कोरोना को हराने के बाद यदि आप प्लाज्मा डोनेट करते है तो वह सिर्फ एक काम नहीं बल्कि किसी को जिदंगी देने के बराबर है। यह कहना है यशपाल शर्मा का। सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे यशपाल ने बताया कि महामारी की शुरूआत में ही कोरोना की चपेट में आ गया था। जिस समय मुझे कोरोना हुआ तो किसी को पता नहीं था कि यह क्या बीमारी है और इससे कैसे बचा जा सकते है। जिसके चलते मेरे दिल में डर था कि आगे क्या होगा। करीब 20 से 25 दिन तक अस्पताल में रहकर संघर्ष करने के बाद मैंने कोरोना को मात देकर वापसी की और दोबारा से सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गया।
यह मेरे लिए था एक अलग अनुभव
यशपाल ने बताया कि जब मुझे पता चला कि मेरे प्लाज्मा किसी दूसरे को जान दे सकते है तो मैंने खुशी-खुशी वह देने को तैयार हो गया, जिसमें मेरे परिवार का भी मेरे साथ सहयोग था। प्लाज्मा डोनेशन बिल्कुल अलग अनुभव था। जैसे ही मैंने प्लाज्मा डोनेट किया तो खुद के अंदर आत्मविश्वास का अलग अहसास था। मुझे पहली बार लगा कि मैं किसी के लिए कुछ कर सकता हूं। मेरे एक प्लाज्मा देने से किसी की जान बच गई जो कि सबसे बड़ी खुशी थी। उन्होंने कहा कि कोरोना से ठीक होने वाला हर कोई प्लाज्मा डोनेट कर सकता है और किसी जरूरतमंद को जिदंगी दे सकते है।
प्लाजमा करने से नहीं आती कमजोरी
प्लाज्मा डोनेशन पर यशपाल ने कहा कि मुझे डोनेशन के बाद किसी प्रकार की कोई कमजोरी महसूस नहीं हुई और ही ना ही मुझे ऐसा लगा कि मैंने कुछ किया है। प्लाज्मा देने में मुझे करीब तीन घंटे का समय लगा क्योंकि पहले टेस्ट किए गए और उसके बाद प्लाज्मा शरीर से निकाला गया।