World Suicide Prevention Day: WHO की रिपोर्ट- देशभर में रोजाना 381 लोग करते हैं आत्महत्या
World Suicide Prevention Day आत्महत्या (Suicide) करना किसी समस्या का हल नहीं है। बावजूद सुसाइड के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व स्तर पर हर साल आठ लाख लोग सुसाइड करते हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। World Suicide Prevention Day: आत्महत्या (Suicide) करना किसी समस्या का हल नहीं है। बावजूद सुसाइड के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व स्तर पर हर साल आठ लाख लोग सुसाइड करते हैं। यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त करता है। दुनियाभर में सुसाइड की घटनाएं 77 प्रतिशत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती है। इनमें से देश (भारत) में 17 प्रतिशत यानि औसतन रोजाना 381 लोग सुसाइड करते हैं।
यह जानकारी पीजीआइ चंडीगढ़ में वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे पर आजोजित कार्यक्रम में दी गई। पीजीआइ के स्टूडेंट नर्सिंग एसोसिएशन की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ. सुनीता शर्मा के नेतृत्व में ये कार्यक्रम हुआ। पीजीआइ नाइन की प्रिंसिपल डॉ. करोबी दास, एकेडेमिक इंचार्ज डॉ. सुखपाल ने छात्राओं द्वारा आज के युग में सुसाइड की बढ़ती प्रवृति और इसकी रोकथाम को लेकर साइक्रेटरी नर्सिंग काउंसलिंग विषय पर लोगों को जानकारी दी।
वहीं, शहर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा सुसाइड प्रीवेंशन व पॉजिटिव लिविंग पर सेमिनार में 60 लोगों ने भाग लिया। सेमिनार का आयोजन हमबल टू बी चंडीगढ़ियन ट्रस्ट ये सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार के दौरान साइकेट्रिस्ट डॉ. दमनजीत कौर ने नेगेटिविटी व सुसाइडल प्रवृत्ति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सुसाइड समाज और लोगों के लिए एक समस्या है। जैसे एग्जाम में फेल होना या व्यवसाय में लगातार नुकसान जैसे कुछ लंबे समय तक तनाव के कारण लोग सुसाइड का प्रयास करते हैं। मुसिबत के समय उचित मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप व्यक्ति को आत्मघाती विचारों से बचाने में मदद करता है।
15 से 24 वर्ष की आयु के लोगों के लिए सुसाइड दुनिया में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। सुसाइड एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसे रोका जा सकता है। रोकथाम और नियंत्रण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि सुसाइड की रोकथाम के प्रयासों के लिए समाज के कई क्षेत्रों के बीच समन्वय और सहयोग की आवश्यकता है। ये प्रयास व्यापक और एकीकृत होने चाहिए। क्योंकि अकेले कोई एक दृष्टिकोण आत्महत्या जैसे जटिल मुद्दे पर प्रभाव नहीं डाल सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता व मोटिवेशनल स्पीकर कर्नल गुरसेवक सिंह (सेवानिवृत्त) ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के प्रबंधन के बारे में बात की।इस अवसर पर आई बैंक पीजीआइ के प्रभारी डॉ. अमित गुप्ता ने नेत्रदान के महत्व के बारे में बताया। सेमिनार में फॉसवेक चेयरमैन लजिंदर सिंह बिटटू मुख्य अतिथि थे। इस मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुभाष लूथरा भी मौजूद थे।