व‌र्ल्ड कार फ्र ी डे आज : शहर में हर महीने बढ़ जाती हैं पांच हजार कारें

व‌र्ल्ड कार फ्री डे के मौके पर प्रशासन ने सभी कर्मचारियों से आह्वान किया है कि बुधवार को कार का इस्तेमाल न करें। सभी से आग्रह किया है कि साइकिल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर ऑफिस पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 07:14 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 07:14 AM (IST)
व‌र्ल्ड कार फ्र ी डे आज : शहर में हर महीने बढ़ जाती हैं पांच हजार कारें
व‌र्ल्ड कार फ्र ी डे आज : शहर में हर महीने बढ़ जाती हैं पांच हजार कारें

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : व‌र्ल्ड कार फ्री डे के मौके पर प्रशासन ने सभी कर्मचारियों से आह्वान किया है कि बुधवार को कार का इस्तेमाल न करें। सभी से आग्रह किया है कि साइकिल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर ऑफिस पहुंचे। एडवाइजर धर्म पाल ने अलग-अलग डिपार्टमेंट को इस संबंध में जरूरी आदेश जारी किए हैं। इसके बाद कई डिपार्टमेंट ने भी सर्कुलर जारी कर कर्मचारियों से कार की बजाए साइकिल से ऑफिस आने के आदेश जारी कर दिए हैं। नगर निगम कमिश्नर ने एमसी और स्मार्ट सिटी लि. के कर्मचारियों को यह आदेश दिए हैं। इसी तरह से चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड, फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट और सेक्रेटेरिएट में भी ऐसे आदेश जारी किए गए हैं। कार फ्री डे के मौके पर एडवाइजर धर्म पाल सुखना लेक से साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। हर दो महीने में बढ़ रही दस हजार कारें

कारों की संख्या शहर में लगातार बढ़ रही है। दस हजार नंबरों की एक सीरीज दो महीने में खत्म हो जाती है। हर महीने पांच हजार नई कार सड़क पर उतर रही हैं।अब हालत यह हो गई है कि कार्य दिवस में सड़कों पर रोजाना जाम लगने लगे हैं। सड़कों, स्लिप रोड को चौड़ा करने के बाद भी हालत नहीं सुधर रहे। इतना ही नहीं चंडीगढ़ की पहचान रहे राउंडअबाउट भी बढ़ती कारों की भेंट चढ़ रहे हैं। कार पूल हुआ था शुरू

कारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए चंडीगढ़ में कार पूल सिस्टम भी शुरू किया गया था। इसकी शुरुआत सबसे पहले स्कूलों से हुई थी। इसमें एक साथ सभी कार सड़क पर न निकलें इसलिए एक एरिया के बच्चे पूल के जरिए एक ही वाहन से स्कूल पहुंचे ऐसी व्यवस्था की गई थी। स्कूल बस भी इसी का उदाहरण है। कमजोर पब्लिक ट्रांसपोर्ट दे रहा बढ़ावा

शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट काफी कमजोर है। मेट्रो प्रोजेक्ट डीपीआर तैयार होने के बाद भी डंप हो गया। कोई दूसरा विकल्प भी नहीं फाइनल हो सका। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की यही कमजोर कड़ी कारों को बढ़ावा दे रही है।

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