पानी की सप्लाई पर आमदनी चवन्नी, खर्चा रुपइया..

शहर में पानी की सप्लाई व्यवस्था पर आमदनी चवन्नी खर्चा रुपइया..वाली कहावत सटीक बैठती है। इसकी एक मात्र वजह नगर निगम का मिस मैनेजमेंट है। स्थिति यह है कि हर साल पानी की सप्लाई से नगर निगम को एक अरब का नुकसान हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 06:42 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 06:42 PM (IST)
पानी की सप्लाई पर आमदनी चवन्नी, खर्चा रुपइया..
पानी की सप्लाई पर आमदनी चवन्नी, खर्चा रुपइया..

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : शहर में पानी की सप्लाई व्यवस्था पर आमदनी चवन्नी, खर्चा रुपइया..वाली कहावत सटीक बैठती है। इसकी एक मात्र वजह नगर निगम का मिस मैनेजमेंट है। स्थिति यह है कि हर साल पानी की सप्लाई से नगर निगम को एक अरब का नुकसान हो रहा है। जबकि इतनी बड़ी रकम बचे तो हर साल शहर में तैयार दो मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण हो सकता है। क्योंकि शहर में पार्किंग की समस्या सबसे बड़ी है। दिलचस्प है कि पानी के बिल की वसूली के रूप में नगर निगम को 102 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। निगम की कंगाली के लिए पानी सप्लाई पर होने वाला खर्चा ही जिम्मेदार है। हालांकि घाटा पूरा करने के लिए कई बार पानी के रेट बढ़ाने के प्रयास हो चुके हैं, लेकिन रेट नहीं बढ़े। फिर भी प्रशासन का दावा है कि चंडीगढ़ में पानी सप्लाई पंजाब और हरियाणा से सस्ता है। मगर पानी बर्बादी यहां सबसे ज्यादा है। दिल्ली में 20 किलोलीटर तक ही पानी निश्शुल्क है, लेकिन इसके बाद जो रेट चार्ज किए जाते हैं वह चंडीगढ़ के मुकाबले में काफी महंगे हैं। इस बीच फासवेक सहित शहर की कई संस्थाओं ने पानी की फिजूलखर्ची रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने का मन बनाया है। 2027 से 24 घंटे मिलेगा पानी

साल 2027 से शहरवासियों को 24 घंटे पानी मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस से 500 करोड़ रुपये का लोन लिया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए 18 अगस्त को गवर्नर हाउस में एमओयू भी पास हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर 600 करोड़ से ज्यादा का खर्चा होगा। जबकि कांग्रेस और शहर की कई संस्थाएं इस प्रोजेक्ट के खिलाफ है। उनका कहना है कि पहले से मिल रहा पानी काफी है। अगर उसे ही व्यवस्थिति तरीके से सप्लाई की जाए वह काफी है। 24 घंटे पानी की सप्लाई शुरू होने से नगर निगम का खर्चा और बढ़ जाएगा और शहरवासियों पर भी इसका बोझ बढ़ेगा। इस समय नगर निगम ने खर्चा कम करने के लिए ही दोपहर की सप्लाई बंद कर दी है। वह सुबह सेवरे जब सैर पर निकलते हैं तो पाइपों से गाड़ी धोते हुए देखते हैं। यह नजारा देखकर दुख होता है। जबकि बाल्टी से गाड़ी धोने पर हजारों लीटर पीने का पानी बचा सकते हैं। उनका कहना है कि लोगों को पानी का मूल्य समझना चाहिए। उन्होंने अपनी संस्था की ओर से सेक्टर-15 के लोगों को पानी बर्बादी रोकने के लिए जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है। रविवार सुबह उन्होंने कुछ लोगों के साथ इसकी शपथ भी ली है।

- सुरेंद्र शर्मा, वाइस चेयरमैन, क्राफ्ड। इस समय 30 फीसद से ज्यादा पानी बर्बाद हो रहा है। इसको बचाने के लिए नगर निगम के पास कोई प्लान नहीं है। जबकि चंडीगढ़ को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला हुआ है। नगर निगम को चाहिए कि पानी बचाने के लिए एक अभियान चलाए, जिसमे शहर का व्यापारी हर तरह से सहयोग देने के लिए तैयार है, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को पहले अपनी भी सरकारी लीकेज को रोकना होगा। बर्बादी कम होगी तो खर्चा भी कम हो जाएगा।

- चरणजीव सिंह, अध्यक्ष व्यापार मंडल एवं मनोनीत पार्षद।

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