मोहाली के कजौली से मिलने वाले पानी के लिए करना होगा इंतजार, लेबर की कमी से धीमी पड़ी प्रोजेक्ट की रफ्तार

ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के प्रोजेक्ट को कजौली वाटर वर्कर्स के फेज 5 और 6 से रोजाना 5 मिलियन गैलन की अतिरिक्त पानी की आपूर्ति के लिए बंद कर दिया है। कोविड कारण पहले से ही प्रोजेक्ट डेढ़ साल देरी से चल रहा है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 01:45 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 01:45 PM (IST)
मोहाली के कजौली से मिलने वाले पानी के लिए करना होगा इंतजार, लेबर की कमी से धीमी पड़ी प्रोजेक्ट की रफ्तार
मोहाली के कजौली वाटर वर्कर्स से इस साल के वाले पानी के लिए के इंतजार करना होगा।

मोहाली, जेएनएन। मोहाली के कजौली वाटर वर्कर्स से इस साल के वाले पानी के लिए के इंतजार करना होगा। कोविड-19 के चलते लॉकडाउन हो गया। जिसके कारण लेबर फिर से अपने मूल राज्यों को लौट गई। जिससे मोहाली के गांव सिंहपुर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का जो काम चल रहा है था उसकी रफतार धीमी हो गई। ध्यान रहे कि जहां से मोहाली शहर को पांच एमजीडी (मेगा गेलन डेली) पानी मिलना है। ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) के प्रोजेक्ट को कजौली वाटर वर्कर्स के फेज 5 और 6 से रोजाना 5 मिलियन गैलन की अतिरिक्त पानी की आपूर्ति के लिए बंद कर दिया है। ध्यान रहे कि कोविड कारण पहले से ही प्रोजेक्ट डेढ़ साल देरी से चल रहा है। 2020 में भी कोविड के कारण प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो सका है। श्रमिकों के पलायन से परियोजना को रोका गया है। जिसे अगले दो महीनों तक फिर से शुरू करने की उम्मीद है।

प्रोजेक्ट को दिसंबर 2020 तक खत्म किया जाना था। लेकिन समय सीमा को बढ़ाकर 31 जुलाई, 2021 कर दी गई। फिर इस साल सितंबर में पूरा करने की बात कहीं गई। लेकिन अब दिसंबर या फिर नए साल के पहले महीने में प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद है। मोहाली में इस समय 10 एमजीडी पानी की कमी है। गर्मियों में  कमी 12 एमजीडी तक पहुंच जाती है। फिलहाल शहर को 10 एमजीडी पानी काजौली के पानी और बाकी 75 ट्यूबवेल से मिलता है। नगर निगम के डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने कहा कि प्रोजेक्ट में बार बार देरी के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो और काम तेजी से हो इसको लेकर अधिकारियों से बात की जाएगी। ध्यान रहे कि कुलजीत सिंह बेदी ने ही मोहाली में पानी की कमी के बारे में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया था। जिसमें कहा था कि अधिकारियों के रवैये के चलते प्रोजेक्ट में देरी हो रही है और लोग पानी के कारण परेशान हो रहे है।

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