जांच के लिए आवाज का नमूना लेना निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं, पंजाब के एक मामले पर हाई कोर्ट ने कहा

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के एक मामले में कहा कि जांच के उद्देश्य से किसी की आवाज का सैंपल लेना उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी बंगा के एक मामले में की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 01:35 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 01:37 PM (IST)
जांच के लिए आवाज का नमूना लेना निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं, पंजाब के एक मामले पर हाई कोर्ट ने कहा
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जांच के उद्देश्यों के लिए आवाज के नमूने इकट्ठा करने के न्यायिक आदेश को निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है। हाई कोर्ट के जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी सतर्कता ब्यूरो द्वारा याचिकाकर्ताओं के आवाज के नमूने लेने के एसबीएस नगर (नवांशहर) के एडीशनल सेशन जज द्वारा दी गई अनुमति के खिलाफ एक याचिका को खारिज करते हुए की।

विजिलेंस ब्यूरो, पंजाब को बंगा तहसील में स्थानीय जनता से बिक्री पंजीकरण कराने के लिए जबरन वसूली की सूचना मिली थी। जानकारी यह थी कि याचिकाकर्ता (तहसील बंगा कॉम्प्लेक्स में दोनों टाइपिस्ट) तहसीलदार और राजस्व विभाग के अन्य राजस्व अधिकारियों से मिलकर बिक्री पंजीकरण कराने के लिए लोगों से पैसे ऐंठ रहे थे। अथॉरिटी से स्वीकृति लेने के बाद, याचिकाकर्ताओं द्वारा उपयोग किए गए मोबाइल को टेप किया गया और विभिन्न तिथियों के टेप से पर्याप्त सबूत मिलने पर मामला दर्ज किया गया।

सतर्कता ब्यूरो द्वारा याचिकाकर्ताओं के आवाज के नमूने लेने की अनुमति के लिए जिला अदालत में आवेदन दायर किया गया था, जिसे जिला अदालत ने मंजूर कर लिया। इसी के खिलाफ याची कमल पाल व अन्य ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए रद करने की मांग की। यह भी तर्क दिया गया कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 53 के तहत आवाज के नमूने लेने का आदेश देने की कोई जिला जज के पास कोई शक्ति नहीं है।

कोर्ट ने रितेश सिन्हा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया था कि एक न्यायिक अधिकारी किसी आरोपी को उसकी सहमति के बिना भी उसकी आवाज के नमूने जांच के लिए उपलब्ध कराने का निर्देश दे सकता है। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि आवाज के नमूने, एक तरह से, उंगलियों के निशान और लिखावट से मिलते जुलते हैं और प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवाज होती है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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