उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव सुखबीर संधू पंजाब में भी दे चुके हैं सेवाएं, विवादों के बीच हर काम पूरा करने के रहे आदी

उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव बने सुखबीर संधू का पंजाब से भी नाता रहा है। वह यहां बादल सरकार के समय तैनात रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई ऐसे काम किए जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 09:05 AM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 10:57 AM (IST)
उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव सुखबीर संधू पंजाब में भी दे चुके हैं सेवाएं, विवादों के बीच हर काम पूरा करने के रहे आदी
उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव सुखबीर संधू की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।1988 बैच के आइएएस अफसर सुखबीर संधू बेशक उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव बन गए हैं, लेकिन उनकी पंजाब में दी गई सेवाओं को आज भी याद किया जाता है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश ¨सह बादल और भाजपा नेता बलराम जी दास टंडन के करीबी माने जाने वाले संधू जिस भी पद पर रहे हैं, उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है।

साल 2000 में संधू की लुधियाना नगर निगम के आयुक्त रहते समय दी गई सेवाओं को सबसे ज्यादा याद किया जाता है। एक मंदिर की दीवार गिराने के मामले में वह विवादों में फंसे और उनका तबादला कर दिया गया, परंतु वह जब तक नगर निगम के आयुक्त रहे, अवैध कब्जों को हटाने के कारण उन्हें डिमोलिशन मैन कहा जाने लगा।

सुखबीर संधू ने पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय में भी अपनी सेवाएं दीं। लुधियाना जैसे पुराने शहर में अवैध कब्जे हटाने का काम अपने हाथ में लेना मुसीबत मोल लेने से कम नहीं है, लेकिन संधू ने न केवल इस चुनौती को स्वीकार किया, बल्कि इस काम को पूरा करते हुए उन्हें निगम आयुक्त का पद भी गंवाना पड़ा। सुखबीर संधू पंजाब में दो बार इंटर स्टेट डेपुटेशन पर आए थे। दोनों बार 1997-2002 और 2007-2012 में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय में ही पंजाब में डेपुटेशन पर रहे।

2002 में सत्ता बदलते ही सुखबीर संधू समेत कई अफसरों को अपने अपने पैतृक राज्यों में वापस जाना पड़ा। सुखबीर संधू भी उत्तराखंड लौट गए। परंतु 2007 में दोबारा अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार बनी तो प्रकाश सिंह बादल उन्हें दोबारा पंजाब में लाकर पंजाब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड का एमडी लगाया गया। संधू के कार्यकाल में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने का सबसे ज्यादा काम हुआ। चंडीगढ़ से बठिंडा, बठिंडा से अमृतसर, लुधियाना से फिरोजपुर आदि हाईवे जैसे बड़े प्रोजेक्ट सुखबीर संधू ने ही तैयार किए थे।

उन दिनों बठिंडा में हिंदुस्तान पेट्रोलियम-लक्ष्मी मित्तल की रिफाइनरी लगाए जाने की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन संधू केवल इस बात पर ध्यान दे रहे थे कि 20000 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के आने से किस-किस एरिया को डेवलप किया जा सकता है। उन्होंने स्टेट हाइवे को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में बनवाकर कई प्रोजेक्ट पूरे किए। जानकारों से राय लेकर बड़े प्रोजेक्ट बनाने के लिए उस काम को पूरा करने में जुट जाना उनकी आदत में शुमार है। इसी कारण वह जहां भी रहे हैं, अपने प्रोजेक्टों के लिए ही जाने जाते हैं। शायद इसी कारण उनका चयन नेशनल हाईवे अथारिटी के चेयरमैन के रूप में भी हुआ था।

विवादों के बीच भी हर काम पूरा करने के आदी रहे

विवादों के बीच हर काम पूरा करने के आदी रहे सुखबीर संधू ने लुधियाना में कई विवादास्पद प्रोजेक्टों को पूरा किया। लुधियाना में जगराओं पुल से जालंधर बाईपास तक बना एलिवेटेड पुल इसका उदाहरण है। जिसका भाजपा, पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल व कई अन्य संगठनों ने जोरदार विरोध किया था, परंतु संधू ने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया। धूरी लाइन पुल, ढंडारी पुल, पक्खोवाल रोड पर इंडोर स्टेडियम, शहर के बीच से गुजरने वाले 14 किलोमीटर लंबे बुड्ढा दरिया के किनारे सड़कें बनाने के प्रोजेक्ट और ग्रीन लुधियाना में उनकी अहम भूमिका रही। हालांकि फिरोज गांधी मार्केट में मल्टी पार्किंग बनाने का प्रोजेक्ट उन्हें राजनीतिक दबाव के कारण छोड़ना पड़ा था।

अमृतसर में की पढ़ाई, प्रेसिडेंट मैडल भी मिला

सुखबीर सिंह संधू ने गवर्नमेंट मेडिकल कालेज अमृतसर से एमबीबीएस की है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर से उन्होंने हिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की है और वह अतिरिक्त ला ग्रेजुएट भी हैं। संधू को लुधियाना नगर निगम के आयुक्त रहते हुए प्रेसिडेंट मेडल भी मिल चुका है।

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