महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित की ऑटोमेटिक सिलाई मशीनें

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी की इनेक्टस टीम ने डेवलपिग इंडिजेनस रिसोर्सेज-इंडिया (डीआइआर) और लुधियाना के वर्सटाइल ग्रुप के सहयोग से प्रोजेक्ट उदय शुरू किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 10:30 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 10:30 PM (IST)
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित की ऑटोमेटिक सिलाई मशीनें
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित की ऑटोमेटिक सिलाई मशीनें

वैभव शर्मा, चंडीगढ़।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी की इनेक्टस टीम ने डेवलपिग इंडिजेनस रिसोर्सेज-इंडिया (डीआइआर) और लुधियाना के वर्सटाइल ग्रुप के सहयोग से प्रोजेक्ट उदय शुरू किया। इस प्रोजेक्ट के साथ ही महिलाओं को घर बैठे रोजगार का साधन दिया जा रहा है। नयागांव स्थित आदर्श नगर में बने डीआइआर सेंटर में ऑटोमेटिक सिलाई मशीनें स्थापित की गई है। यहां महिलाओं को सिलाई का काम तो सिखाया जाएगा साथ ही उनके बने सामान को मार्केट में बेचने के लिए भी प्लानिग की जा रही है।

55 हजार रुपये की दो ऑटोमेटिक मशीनें स्थापित की

केंद्र में सेनेटरी पेड बनाने के लिए 55 हजार रुपये खर्च कर दो ऑटोमेटिक सिलाई मशीनें स्थापित की गई है। पहले महिलाओं को इस मशीन को चलाने की ट्रेनिग दी जा रही है। इनेक्टस की कोऑर्डिनेटर प्रो. सीमा कपूर ने कहा कि अनलॉक-1 के बाद उन्होंने वर्सटाइल ग्रुप की कोऑर्डिनेटर गीतांजलि बक्सी और डीआइआर सीईओ डा. आशा कटोच के साथ मिलकर महिलाओं को रोजगार देने का मन बनाया। इस कड़ी में पहले मास्क बनाए गए और अब महिलाओं को सेनेटरी पैड बनाने के लिए दिए गए हैं।

धोने के बाद दोबारा प्रयोग हो सकेगा सेनेटरी पैड

गीतांजलि बक्सी ने कहा कि पैड बनाने के लिए कपड़ा वह अपनी टेक्सटाइल कंपनी से देती हैं। इसके लिए वर्सटाइल ग्रुप के तकनीकि मार्गदर्शक अखिल सेठ कपड़े को जांचते हैं। भारत सरकार की ओर से प्रमाणित लैब में पहले इस कपड़े की जांच होती है, उसके बाद ही उन्हें पैड बनाने के लिए भेजा जाता है। यह पैड बाजार में उपलब्ध पैड से सस्ते और साफ है। महिलाएं इसे दो साल तक प्रयोग कर सकती है और यह धोने के बाद दोबारा प्रयोग किया जा सकता है।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य : कटोच

डीआइआर की सीईओ डा. कटोच ने बताया कि उनका यह ट्रस्ट पिछले 17 साल से चल रहा है। जब नयागांव का विकास नहीं हुआ था, तभी से वह स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, शिक्षा प्रदान करना और झुग्गी-झोपड़ी समुदाय में आय सृजन की सुविधा प्रदान करना जैसे कार्य कर रही है। प्रोजेक्ट उदय में जो महिलाएं कार्य कर रही है, वह सभी झुग्गी-झोपड़ी समुदाय से है और इस प्रोजेक्ट से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है।

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