उड़न सिख मिल्खा सिंह बोले- फिटनेस के लिए रोज दौड़ें 10 मिनट, इस खिलाड़ी में बताया जीत का जुनून

उड़न सिख मिल्खा सिंह का कहना है कि फिट रहने के लिए रोजना 10 मिनट दौड़ना चाहिए। 91 साल के मिल्खा सिंह रोजना गोल्फ क्लब में प्रेक्टिस करने आते हैं। उन्होंने कहा कि अब खिलाड़ियों में जीत का जुनून नहीं दिखता लेकिन उन्होंने एक एथलिट का नाम जरूर लिया है।

By Ankesh KumarEdited By: Publish:Fri, 05 Feb 2021 02:18 PM (IST) Updated:Fri, 05 Feb 2021 02:18 PM (IST)
उड़न सिख मिल्खा सिंह बोले- फिटनेस के लिए रोज दौड़ें 10 मिनट, इस खिलाड़ी में बताया जीत का जुनून
पद्मश्री मिल्खा सिंह अपने बेटे जीव मिल्खा सिंह और अपने पोते के साथ।

चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। चंडीगढ़ गोल्फ क्लब में प्रेक्टिस करने पहुंचे पद्मश्री मिल्खा सिंह ने बताया कि अभी उनकी उम्र 91 साल है। वह सामान्य दिनों में रोज गोल्फ खेलते हैं। अपनी फिटनेस के लिए घर में ही जिम बना रखा है, जहां रोज एक से दो घंटे हल्की एक्सरसाइज करता हूं। उन्होंने कहा कि दौड़ ही सब खेलों की मां है। अगर आपको दौड़ने की आदत पड़ जाती है, तो आपके साथ आपकी आने वाली पीढ़ियां भी सुधर जाती हैं। हम पूरी उम्र दूसरों के लिए दौड़ते हैं इसलिए रोज 10 मिनट जरूर अपने लिए भी दौड़ें।

वहीं एथलेटिक्स गेम्स पर बात करते हुए मिल्खा सिंह कहते हैं कि रोम ओलंपिक जाने से पहले मैंने दुनिया भर में कम से कम 80 दौड़ों में भाग लिया था। उसमें मैंने 77 दौड़ें जीतीं। इससे मेरा एक रिकार्ड बन गया था। सारी दुनिया ये उम्मीद लगा रही थी कि रोम ओलंपिक में कोई अगर 400 मीटर की दौड़ जीतेगा तो वो भारत के मिल्खा सिंह होंगे। मैं इतने सालों से इंतजार कर रहा हूं कि कोई दूसरा इंडियन वो कारनामा कर दिखाए। जिसे करते-करते मैं चूक गया था, लेकिन हम एक भी मेडल नहीं जीत पाए।

उन्होंने कहा क्रिकेट सिर्फ 10 से 14 देश खेलते हैं, लेकिन एथलेटिक्स गेम्स 200 से ज्यादा देश खेलते हैं। इसलिए एथलेटिक्स में महत्व को हमें समझना होगा। हमारे जमाने में न तो ग्राउंड थे और न ही अनुभवी कोच। हम नंगे पांव दौड़े। बावजूद इसके हमने अपनी मेहनत से शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन अब देश में तमाम तरह की सुविधा हैं, फिर भी खिलाड़ियों में जीत का वो जुनून देखने को नहीं मिलता है।

मिल्खा सिंह बताते हैं कि हेमादास में वो जीत का जुनून देखते हैं। उन्होंने कहा खिलाड़ी का प्रदर्शन काफी हद तक कोचिंग पर भी निर्भर करता है। पीटी ऊषा में ओलंपिक मेडल जीतने की क्षमता थी, लेकिन उसे बेहतर कोच नहीं मिले।

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