..ताकि अकेलेपन न महसूस करें कोरोना के मरीज
कोरोना महामारी और दूसरी किसी बीमारी में एक सबसे बड़ा फर्क यह है कि दूसरी बीमारी में पेशेंट को स्वजनों के साथ होने से बीमारी से लड़ने की ताकत मिलती है। वह अपनों का साथ पाकर जल्दी ठीक होता है।
जासं, चंडीगढ़ : कोरोना महामारी और दूसरी किसी बीमारी में एक सबसे बड़ा फर्क यह है कि दूसरी बीमारी में पेशेंट को स्वजनों के साथ होने से बीमारी से लड़ने की ताकत मिलती है। वह अपनों का साथ पाकर जल्दी ठीक होता है। जबकि कोरोना महामारी में मरीज को अकेले रहना पड़ता है। ऐसी स्थिति में कई बार सांसों की डोर टूट जाती है। अब प्रशासन ने इसका तोड़ निकालते हुए मरीजों की उनके स्वजनों से वीडियो कॉलिग करानी शुरू की है। इसके जरिये स्वजन पेशेंट का हाल जानकर उसका हौसला बढ़ाते हैं।
इसके लिए प्रशासन ने दो आइएएस अधिकारियों को दो बड़े अस्पतालों का नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है। यह अधिकारी हॉस्पिटल का एडमिनिस्ट्रेशन वर्क देखेंगे। साथ ही और बेहतर पेशेंट के लिए जरूरी फैसले लेंगे। प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने यूटी गेस्ट हाउस में पत्रकारों से चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। मई से 18 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों का होगा टीकाकरण
एक मई से 18 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग का टीकाकरण शुरू होगा। प्रशासक ने बताया कि इसके लिए 1.10 लाख वैक्सीन की डोज उनको मिल चुकी हैं। बाकी जरूरत के हिसाब से आती रहेंगी। हरियाणा की तर्ज पर मंदिर, गुरुद्वारा जैसे धार्मिक स्थलों पर वैक्सीनेशन सेंटर बनाने के सुझाव पर विचार करने के आदेश प्रशासक ने अधिकारियों को दिए। आवाजाही ज्यादा होने के कारण बढ़े केस : बदानौर
प्रशासक बदनौर ने कहा कि केस बढ़ने की सबसे बड़ी वजह चंडीगढ़ का राजधानी होना है। यहां पंजाब-हरियाणा के विधानसभा सेशन हुए, बजट पेश हुए, हाई कोर्ट की वजह से आवाजाही काफी रहती है। ट्रांजिट प्वाइंट होने से भी संक्रमण ज्यादा फैला। पिछले साल पहली लहर में वह केस को कम कर 20 से नीचे लाने में कामयाब रहे थे। अब फिर वैसे ही सहयोग की जरूरत है।
ट्रैकिग, ट्रेसिग और टेस्टिग में हो रही देरी
प्रशासक को बताया गया कि इस बार केस आने के बाद उसके कांटेक्ट ट्रैकिग, ट्रेसिग और टेस्टिग में समय लग रहा है। जिससे संक्रमण आगे पहुंच जाता है। इस पर प्रशासक ने और गहनता से काम करने के निर्देश दिए।