खराब हार्ड डिस्क बदलने से किया मना, कंपनी को भरना पड़ेगा 21 हजार रुपये जुर्माना

कंज्यमूर फोरम ने वारंटी पीरियड में खराब होने पर भी हार्ड डिस्क को बदलने से इन्कार करने पर कंपनी को सेवा में कोताही का दोषी पाया है।

By Sat PaulEdited By: Publish:Mon, 21 Jan 2019 10:31 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2019 10:31 AM (IST)
खराब हार्ड डिस्क बदलने से किया मना, कंपनी को भरना पड़ेगा 21 हजार रुपये जुर्माना
खराब हार्ड डिस्क बदलने से किया मना, कंपनी को भरना पड़ेगा 21 हजार रुपये जुर्माना

जेएनएन, चंडीगढ़। कंज्यमूर फोरम ने वारंटी पीरियड में खराब होने पर भी हार्ड डिस्क को बदलने से इन्कार करने पर कंपनी को सेवा में कोताही का दोषी पाया है। इस पर फोरम ने कंपनी पर 21 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।

सेक्टर-49 निवासी सुरेश कुमार ने 28 जनवरी 2017 को सेक्टर-22सी स्थित एचआइएम कंप्यूट से 3800 रुपये में तोशिबा एक टीबी एचडीडी की हार्ड डिस्क खरीदी थी। इसमें उसने कुछ फोटो सेव की थी, लेकिन पांच फरवरी 2017 को सुरेश ने जब तस्वीरों को डेवलप करने के लिए हार्ड डिस्क चेक की, तो वह खाली थी। इसकी शिकायत जब सुरेश ने सेक्टर-22बी स्थित तोशिबा सर्विस सेंटर से की तो उन्होंने बताया कि हार्ड डिस्क तो करप्ट हो चुकी है। सुरेश ने सर्विस सेंटर से करप्ट हार्ड डिस्क को बदलने के साथ हार्ड डिस्क में स्टोर डाटा को भी सेव करने की रिक्वेस्ट की, लेकिन सर्विस सेंटर ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया।

इसके बाद सुरेश ने एक डाटा रिकवरी लैब से हार्ड डिस्क में स्टोर डाटा को रिकवर करवाया, जिसके लिए उसे अलग से 11 हजार रुपये देने पड़े। सुरेश ने इसकी शिकायत कंज्यूमर फोरम को दी। वहीं तोशिबा कंपनी ने अपने जवाब में कहा कि सुरेश ने जिस दुकान से हार्ड डिस्क खरीदी है, उसे कंपनी को सामान बेचने का अधिकार ही नहीं है। इसलिए वह इसका भुगतान नहीं कर सकते।

वहीं एचआइएम कंप्यूट ने दलील देते हुए कहा कि उन्होंने हार्ड डिस्क सुरेश को दी थी, उसका बाकायदा बिल उसे बनाकर दिया गया था। अब वह वारंटी में पड़ी है तो उसे बदलने या रिपेयर करने की जिम्मेदारी तोशिबा कंपनी की है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फोरम ने एचआइएम कंप्यूट द्वारा सुरेश को हार्ड डिस्क के पैसे 3800 रुपये और डाटा रिकवरी के लिए दिए गए 11 हजार रुपये भी वापस करने के आदेश दिए हैं। साथ ही शिकायतकर्ता को इस दौरान हुई मानसिक परेशानी के लिए 5 हजार रुपये और 5 हजार रुपये केस खर्च के तौर पर भी देने के आदेश दिए हैं।

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