किसानों के बढ़े कर्ज का कारण भी रहा है ट्रैक्टर, पंजाब में जरूरत से साढ़े तीन लाख ज्यादा

Tractor in punjab पंजाब में जरूरत से साढ़े तीन लाख ज्यादा ट्रैक्टर हैं। राज्य में किसानों के कर्ज का एक बड़ा कारण ट्रैक्टर भी है। बड़े किसान ट्रैक्टरों को माडिफाई करते हैं जबकि छोटे किसान ऐसा नहीं कर पाते।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 02:25 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 02:34 PM (IST)
किसानों के बढ़े कर्ज का कारण भी रहा है ट्रैक्टर, पंजाब में जरूरत से साढ़े तीन लाख ज्यादा
दिल्ली में ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेने के लिए जाते किसान। जागरण

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड में बड़ी संख्या में पंजाब से ट्रैक्टर दिल्ली जा रहे हैैं। बड़े किसान ट्रैक्टर माडिफाई करके ले जा रहे हैैं तो छोटे किसान जैसा है वैसा ही। अभी तक स्टेटस सिंबल रहे ट्रैक्टर अब पंजाब के किसानों के लिए प्रदर्शन का जरिया बने हैैं, जबकि एक पहलू यह भी है कि ट्रैक्टरों की यह दिखावे की शान ही छोटे किसानों के बढ़ते कर्ज व खुदकुशी का कारण भी बनती रही है। छोटे किसान के पास भले ही कम जमीन हो, लेकिन वह अपनी आर्थिक संपन्नता को दिखाने के लिए बड़े किसानों की देखादेखी में ट्रैक्टर खरीदने से पीछे नहीं हैै।

यह समस्या काफी समय से गंभीर होती जा रही है। 2007 में पंजाब किसान आयोग के तत्कालीन चेयरमैन डा. जीएस कालकट ने पंजाब के सभी बैंकों को एक पत्र लिखा था कि पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को ट्रैक्टर के लिए कर्ज देना बंद करें। उनके इस पत्र से विवाद खड़ा हो गया था।

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दरअसल, यह पत्र उन्होंने किसानों पर चढ़ रहे कर्ज को रोकने के लिए लिखा था और ऐसा ही एक पत्र वित्त मंत्रालय को लिखकर कि छोटे किसानों को ट्रैक्टरों, खेतीबाड़ी से संबंधित मशीनरी के लिए कर्ज देने के बजाय यह कर्ज को-आपरेटिव सोसाइटियों को देने का सुझाव दिया। उनका तर्क था कि सोसाइटियों को इस बात के लिए मजबूर किया जाए कि वे खेती से संबंधित बड़ी मशीनरी खरीदें और किसानों को किराये पर दें।

92 वर्षीय कृषि अर्थशास्त्री डा. कालकट का निधन तीन वर्ष हो गया था। उनकी ओर से बैंकों और वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र का उद्देश्य बहुत साफ था कि छोटे किसानों को कैसे कर्ज से बाहर निकाला जाएगा। उन्होंने लिखा था कि पंजाब में किसानों को ट्रैक्टर आदि खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

दो हेक्टेयर वाले किसान अगर ट्रैक्टर अपने पास रखते हैं तो उसे खरीदने का कर्ज वह पूरा जीवन भी नहीं चुका सकते। किसानों को ट्रैक्टर तभी लेना चाहिए अगर वह सालभर में एक हजार घंटे तक उसका उपयोग कर सकता है। उन्होंंने कहा था कि पंजाब में एक लाख ट्रैक्टरों की जरूरत है, लेकिन साढ़े चार लाख से ज्यादा है। साफ है बड़े किसानों की देखादेखी छोटे किसान भी ट्रैक्टर खरीद रहे हैं।

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डा. कालकट की चेतावनी के बावजूद बैंक किसानों को ट्रैक्टरों को कर्ज देने से पीछे नहीं हट रहे हैं। स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों पर दीर्घ अवधि का कर्ज, जो उसने ट्रैक्टर व अन्य मशीनरी के नाम पर ले रखा है, 14500 करोड़ रुपये से ज्यादा है। कंपनियां अब भी अपनी ग्रोथ को बढ़ाने के लिए किसानों को इस तरह की मशीनरी खरीदने पर मजबूर कर रही हैं।

खेतीबाड़ी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. दलेर सिंह का कहना है कि धान की पैदावार के लिए जमीन को कद्दू (जमीन के छिद्र बंद करना) करने की नीति भी ट्रैक्टरों की बिक्री को बढ़ाने के लिए की गई। जमीन को ट्रैक्टरों के जरिए ही कद्दू किया जा सकता है, जबकि हमारे पास सीधी बिजाई करने का विकल्प मौजूद था। खेती वैज्ञानिकों की इस बड़ी भूल से पंजाब के भूजल का भी नुकसान हुआ और जमीन की बर्बादी भी हुई।

छोटे किसानों के लिए को-आपरेटिव सोसाइटियों से ट्रैक्टर और खेती के अन्य साधन लेने का ही एकमात्र विकल्प है। होशियारपुर के पास लांबड़ा-कांगड़ी को-आपरेटिव सोसाइटी ने सफलता से यह माडल पिछले कई सालों से चलाया हुआ है।  

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