केंद्रीय कमेटी की रिपोर्ट फाइनल होने से पूर्व पंजाब के तीन मंत्री हरीश रावत से मिले, चर्चाओं का बाजार गर्म

Punjab congress Dispute पंजाब कांग्रेस में अंतकलह पर केंद्रीय कमेटी जल्‍द ही अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को सौंप देगी। कमेटी द्वारा रिपोर्ट को अंतिम रूप देेने से पहले पंजाब के तीन मंत्रियों ने हरीश रावत से मुलाकात की है। इससे चर्चाओं का बाजार गर्म हाे गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 08:59 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 06:20 AM (IST)
केंद्रीय कमेटी की रिपोर्ट फाइनल होने से पूर्व पंजाब के तीन मंत्री हरीश रावत से मिले, चर्चाओं का बाजार गर्म
पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत, पंजाब के मंत्री तृप्‍त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब कांग्रेस में चल रहा अंतरकलह को सुलझाने के लिए कांग्रेस हाईकमान द्वारा गठित की गई तीन सदस्यीय कमेटी ने अभी अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को नहीं सौंपी है। कमेटी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है और तीन-चार दिनों में वह अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को दे देगी। इन सबके बीच पंजाब के कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियों ने कमेटी के सदस्य व पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत से नई दिल्ली में मुलाकात की। इस मुलाकात से पंजाब की सियासत में चर्चाएं गर्म हो गई हैं।

माना जा रहा है कि इन मंत्रियों ने न सिर्फ अपनी एकता का परिचय दिया बल्कि यह भी संकेत दिए कि वे मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हैं। पंजाब कांग्रस में अंतर्कलह को समाप्‍त करने के लिए पार्टी नेतृत्‍व के प्रयास नित नए रंग ले रहा है। जानकारी के अनुसार कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने हरीश रावत से मुलाकात की।

महत्वपूर्ण यह भी है कि इसमें से दो मंत्रियों ने मुलाकात से एक दिन पहले माझा के ही विधायकों के साथ एमएलए हास्टल में बैठक भी की थी। इसमें करीब चार से पांच विधायक शामिल थे। कमेटी की सुनवाई पूरी होने के बाद कैबिनेट मंत्रियों द्वारा प्रदेश प्रभारी से मुलाकात करना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि सूत्राें के अनुसार कमेटी के सामने पक्ष रखने के दौरान करीब 63 विधायकों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कारगुजारी पर सवाल उठाए थे। इनमें कई मंत्री भी शामिल है। हालांकि मुख्यमंत्री के नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करने वालों की संख्या काफी कम बताई जा रही है।

पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि तीनों मंत्रियों ने हरीश रावत के सामने जहां यह स्पष्टीकरण दिया कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं है। वहीं, उन्होंने अपनी एकता का भी परिचय दिया। चूंकि इन दिनों कांग्रेस में अटकलों का बाजार पूरी तरह से सरगर्म है। चर्चा यह भी चल रही थी कि मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल लोगों ने ही सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुखालफत की थी।

वहीं, यह चर्चा भी गर्म है कि कुछ मंत्रियों को कैबिनेट से ड्राप भी किया जा सकता है। हालांकि पार्टी के एक उच्च स्तरीय सूत्र का कहना है, कमेटी का काम कोई फार्मूला देना नहीं है। कमेटी ने जिन विधायकों व नेताओं से बात की है, उसमें कामन बात क्या थी, समस्याएं क्या रही, इसके पीछे कारण क्या रहे, किसने क्या कहा और 2022 के नेतृत्व को लेकर किसके क्या विचार थे आदि की रिपोर्ट तैयार करना व उस संबंध में मुख्यमंत्री ने क्या कहा, इसका रिपोर्ट में उल्लेख करना है। उसके बाद अगर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी सुझाव मांगती है तो कमेटी अपने सुझाव दे सकती है।

क्या है मामला

2015 में बेअदबी और कोटकपूरा कांड में न्याय न मिलने के कारण कांग्रेस के कैबिनेट मंत्रियों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया था। यह मामला पार्टी का अंतर्कलह में बदल गया। इसके बाद पार्टी हाईकमान ने राज्य सभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयप्रकाश अग्रवाल और हरीश रावत की कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने 31 मई से 4 जून तक पंजाब के सभी विधायकों, राज्य सभा सदस्यों, सांसद, पूर्व व वर्तमान प्रदेश प्रधान के साथ बैठक की थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपनी है।

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