मोहाली जिले के गांव में होगी फलों की बंपर पैदावार, बागवानी विभाग ने चलाई विशेष मुहीम

विभाग के निदेशक बागबानी शलिंदर कौर ने बताया कि फलदार पौधों के लिए जमीन का दायरा बढ़ाया जा रहा है। बीती 20 जुलाई से एक विशेष मुहीम चलाकर गांवों के सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाए जा रहे है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 03:58 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 03:58 PM (IST)
मोहाली जिले के गांव में होगी फलों की बंपर पैदावार, बागवानी विभाग ने चलाई विशेष मुहीम
मोहाली बागवानी विभाग ने गांव के लिए विशेष मुहीम चलाई है। (सांकेतिक चित्र)

जागरण संवाददाता, मोहाली। मोहाली जिले के गांवों और सार्वजनिक स्थानों पर अब फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं। बागवानी विभाग आम, नींबू और जामून आदि के पौधे लोगों को वितरित कर इन्हें लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है। विभाग किसानों को फसली विभिन्नता का पाठ पढ़ा रहा है। फल पैदा करने के लिए जमीनों का दायरा बढ़ाने का प्रयास किया जाए।

विभाग के निदेशक बागबानी शलिंदर कौर ने बताया कि फलदार पौधों के लिए जमीन का दायरा बढ़ाया जा रहा है। बीती 20 जुलाई से एक विशेष मुहीम चलाकर गांवों के सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाए जा रहे है। इस मुहिम के तहत अब 2.50 लाख सीड बाल पंचायतों में वितरित किए जाएंगे। जिले में तकरीबन नौ हजार सीड बाल नब्बे ग्राम पंचायतों की देखरेख में लगाए जाएंगे।

बागवानी विकास अधिकारी डेराबस्सी जसप्रीत सिंह सिद्धू ने बताया कि इस तकनीक से लगाए गए पौधे बहुत जल्दी तैयार हो जाते हैं। इनके मरने की दर बहुत कम होती है। उन्होंने बताया कि सीड बाल हर गांव के तालाब के आसपास व खेल मैदानों के चारों तरफ लगाए जा सकते हैं। इस तरह से किए गए पौधरोपण से जहां वातावरण शुद्ध होता है। साथ ही लोगों को फल मिलते हैं और लोगों को जहर से मुक्त फल मिलते हैं।

ध्यान रहे कि कोविड से पहले भी पंजाब सरकार ने तंदुरुस्त पंजाब मुहिम शुरू की थी। इसमें पुराने और फलदार पौधे लगाने पर जोर दिया गया था। सीएम कैप्टन अमरिदंर सिंह ने इसमें रुचि दिखाई थी। इतना ही नहीं उस समय किसानों को चंदन के पौधे मुफ्त में वितरित किए गए थे। सीड बॉल खेती की एक नई विधि है। इसमें बीजों को जब मिट्टी की परत से 1/2 इंच से लेकर 1 इंच तक की गोलाई से सुरक्षित कर लिया जाता है। इसे सीड बॉल कहते हैं। सीड बाल का उपयोग बिना जुताई, बिना जहरीले रसायनों और बिना गोबर के कुदरती खेती करने और मरुस्थलों को हरियाली में बदलने के लिए उपयोग में लाया जाता है। गमलों आदि में लगाए जाने वाले पौधों में भी यह कामयाब तकनीक है।

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