कोरोना ने उजाड़ी दुनिया : बिन मां-बाप झुग्गी में रहने को मजबूर तीन बहनें

कोरोना संक्रमण के कारण अंजली उसकी दो बहनों और एक भाई के सिर से मां-बाप का साया उठ गया। अंजलि अपनी बहनों और भाई के साथ सेक्टर-52 के सरकारी स्कूल के सामने टीन शेड कॉलोनी की एक झुग्गी में रहती है। अब इस चारों के लिए जीवनयापन चुनौती बन गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 07:35 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 07:35 AM (IST)
कोरोना ने उजाड़ी दुनिया : बिन मां-बाप झुग्गी में रहने को मजबूर तीन बहनें
कोरोना ने उजाड़ी दुनिया : बिन मां-बाप झुग्गी में रहने को मजबूर तीन बहनें

विशाल पाठक, चंडीगढ़

कोरोना संक्रमण के कारण अंजली, उसकी दो बहनों और एक भाई के सिर से मां-बाप का साया उठ गया। अंजलि अपनी बहनों और भाई के साथ सेक्टर-52 के सरकारी स्कूल के सामने टीन शेड कॉलोनी की एक झुग्गी में रहती है। अब इस चारों के लिए जीवनयापन चुनौती बन गया है। उन्हें अपने लिए दो जून की रोटी जुटाना कठिन है। वह अभी तक माता-पिता की मौत के सदमे से उबर नहीं पाए हैं। अंजली आज भी अपने भाई और बहनों के साथ इस आस में दिन भर घर की चौखट पर बैठी रहती है कि शाम ढलने पर शायद उसके मां-बाप काम से लौटकर उनके पास आ जाएं। लेकिन वह यह अच्छी तरह जानती है कि मां-बाप की कोरोना से मौत हो चुकी है। अब उसे ही अपने भाई और बहनों की परवरिश करनी है। विडंबना यह है कि कोरोना संकट के दौर में अंजली जैसे कई परिवारों के सामने जीवन भर का संकट खड़ा हुआ है। मगर अनाथ और असहाय लोगों की मदद करने और बेसहारा बच्चों के लिए उचित प्रबंध करने के चंडीगढ़ प्रशासन के बड़े-बड़े दावे इस दौर में खोखले साबित हुए हैं। अब तक प्रशासन के किसी अफसर या विभाग ने इनकी सुध नहीं ली। प्रशासन से सवाल- इनकी परवरिश कौन करेगा

कोरोना की वजह से जिन बच्चों के मां या बाप किसी की भी मृत्यु हो गई है। प्रशासन ने उनकी परवरिश का जिम्मा उठाया है।प्रशासन ऐसे बच्चों के नाम पर तीन लाख रुपये की एफडी करेगा। ये बच्चे 21 साल की उम्र के होने पर इस एफडी का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा ऐसे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, उनके खाने-पीने का खर्च और काउंसिलिग तक की सुविधा उपलब्ध होगी। सवाल अब ये है कि अंजलि उसकी दो बहनों और भाई की अब तक किसी ने सुध नहीं ली है। ऐसे में इन बच्चों की परवरिश कौन करेगा। अफसर बनकर देश की सेवा करना चाहतें हैं अंजली उसकी बहनें और भाई

17 साल की अंजलि ने बताया उसकी बहन 16 साल की संजली, 15 साल की संजना और 11 साल का भाई राजन पढ़ लिखकर अफसर बनकर देश की सेवा करने चाहते हैं। अंजलि ने कहा मां-बाप का साया सिर से उठ जाने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इस समय पेट पालने की है। दो वक्त की रोटी के लिए तीनों बहनें और भाई काम की तलाश में भटक रहे हैं। ताकि दो पैसे कमाकर अपना पेट पाल सकें। माता-पिता साफ-सफाई का करते थे काम

अंजलि ने बताया कि उनके पिता असरपी लाल और मां लजावती सेक्टर-52 में ही एक प्राइवेट ऑफिस में साफ-सफाई का काम करते थे। कोरोना से जब उनके मां-बाप की मौत हो गई। तब उनके मां-बाप के आफिस से भी उनको पूछने के लिए नहीं आया। यहां तक की उनके मां-बाप ने जितने दिन प्राइवेट आफिस में काम किया था, उसका पैसा भी नहीं दिया।

chat bot
आपका साथी