छह ग्रहों का स्वग्रही संयोग बना रहा गणेश चतुर्थी को श्रेष्ठ और विशेष फलदाई

हिदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 06:33 PM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 06:33 PM (IST)
छह ग्रहों का स्वग्रही संयोग बना रहा गणेश चतुर्थी को श्रेष्ठ और विशेष फलदाई
छह ग्रहों का स्वग्रही संयोग बना रहा गणेश चतुर्थी को श्रेष्ठ और विशेष फलदाई

चेतन भगत, कुराली

हिदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। इस बार शुक्रवार को मनाई जा रही गणेश चतुर्थी पर भक्तजनों द्वारा घरों में गणपति महाराज की स्थापना कर दस दिन बाद 19 सितंबर को अनंत चतुर्थी के दिन उन्हें विसर्जित कर विदाई देते हुए अगले वर्ष फिर आने की मंगल कामना की जाएगी। पंडित विपिन चंद्र नैथानी के अनुसार शुभ मुहूर्त में गणपति की स्थापना करने से जहां भगवान गणेश कृपा बरसाते है वहीं प्रसन्न होकर भक्तजनों की समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

कई वर्षो के पश्चात गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर छह ग्रहों का स्वग्रही संयोग इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बना रहा है। गणेश चतुर्थी पर सूर्य अपनी स्वराशि सिंह, बुध अपनी स्वराशि कन्या, शुक्र अपनी स्वराशि तुला, शनि अपनी स्वराशि मकर, राहु अपनी स्वराशि वृष और केतु अपनी स्वराशि वृश्चिक में विराजमान रहेंगे। इन छह ग्रहों का स्वराशि में विराजमान रहने का शुभ संयोग जातकों विशेषकर व्यापारी वर्ग के लिए बेहद लाभकारी रहेगा। शुक्रवार सुबह 11:09 मिनट से रात 10:59 मिनट तक पाताल निवासनी एवं धनदायनी भद्रा रहेगी जिससे भक्तजनों को मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।

शुभ मुहूर्त में करें गणपति बप्पा की स्थापना

गणपति बप्पा की स्थापना शुभ मुहूर्त में करना बेहद श्रेयस्कर रहेगा। शुक्रवार दोपहर 12:17 मिनट से लेकर रात 10 बजे तक गणपति महाराज की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है। जातक सुबह स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करते हुए शुभ मुहूर्त में दाई ओर सूंड वाली गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना करे। सबसे पहले चौकी पर गंगाजल छिड़क कर लाल वस्त्र बिछाते हुए उस पर अक्षत छिड़कें। भगवान श्री गणेश को स्नान कराएं एवं मूर्ति के दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि के रूप में एक एक सुपारी की स्थापना करें तथा गणपति महाराज के दाई ओर जल से भरा कलश रखें। उन्हें अक्षत, फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें तथा मोदक का भोग लगा गणपति महाराज को ध्याते हुए उनका आवाहन कर ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करते हुए रोजाना सुबह एवं शाम उनकी आरती करें।

घर में ही करें विसर्जन

स्थापना के लिए घर में लाई जाने वाली गणपति बप्पा की मूर्ति मिट्टी से बनी इको फ्रेंडली हो ताकि नदियों की बजाए घर में ही उनका विसर्जन किया जा सके। 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन भक्तजन अपने घर में स्थापित की गई गणपति महाराज की प्रतिमा को शुद्ध पानी के टब में विसर्जित कर उस जल को घर के बगीचे अथवा पौधों के गमलों में डाल पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपना योगदान प्रदान करें।

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