यहां का क्राउड बहुत ज्यादा लाउड, जिससे मैं खुश भी हूं और निराश भी : कल्कि कोचलिन

कल्कि ने कहा कि मुझे कॉमेडी करना अच्छा लगता है लेकिन जो भी फिल्में मुझे ऑफर होती हैं उसमें अभिनय काफी कांप्लीकेटेड और जिम्मेदारी वाला मिलता है।

By Edited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 06:11 PM (IST) Updated:Sat, 20 Apr 2019 03:04 AM (IST)
यहां का क्राउड बहुत ज्यादा लाउड, जिससे मैं खुश भी हूं और निराश भी : कल्कि कोचलिन
यहां का क्राउड बहुत ज्यादा लाउड, जिससे मैं खुश भी हूं और निराश भी : कल्कि कोचलिन
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। थिएटर करने के लिए कई बार शहर में आई हूं। यहां का क्राउड बहुत ज्यादा लाउड है, जिससे मैं खुश भी हूं और निराश भी, क्योंकि लाउडनेस से मुझे प्रोत्साहन तो मिलता है, लेकिन दुख भी होता है, क्योंकि मेरा अभिनय थिएटर दर्शकों के दिलों में शायद नहीं उतर पाता। शायद इसका कारण इंग्लिश भाषा का इस्तेमाल करना है। यह अनुभव बॉलीवुड अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने दैनिक जागरण संवाददाता से शेयर किए। कल्कि शहर में एक फैशन शो में शो स्टॉपर के तौर पर पहुंचीं थीं।

कॉमेडी करना अच्छा लगता है : कल्कि
करियर के अनुभवों को साझा करते हुए कल्कि ने कहा कि मुझे कॉमेडी करना अच्छा लगता है और उसे मैं फिल्मों में भी करना चाहती हूं, लेकिन जो भी फिल्में मुझे ऑफर होती हैं, उसमें अभिनय काफी कांप्लीकेटेड और जिम्मेदारी वाला मिलता है, जो शायद मेरे लिए अच्छा है, लेकिन मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट नहीं है। कल्कि इंडियन फ्रेंच अभिनेत्री हैं, जोकि बॉलीवुड में काम करके अपनी पहचान बना रही हैं। पिता के जीवन पर बनाना चाहूंगी फिल्म कल्कि ने कहा कि मेरे पिता फ्रांस से हैं और उन्होंने दक्षिण भारत में आकर शादी की थी। वे फ्रांस के अलावा अफगानिस्तान और भारत के अलग-अलग राज्यों में रहे हैं, जिसके कारण उनका असर मेरे में भी है। मुझे लगता है कि मैं हर प्रकार के अभिनय को ऐसे कर लेती हूं, जैसे वह मेरा निजी जीवन हो। मुझे साउथ की फिल्मों से लेकर बॉलीवुड और अभी वेब सीरीज में काम करते हुए कभी भी मुश्किल महसूस नहीं हुई। मैं जो हूं अपने पापा के कारण हूं, इसलिए उनके संघर्ष और इन्जॉय को दुनिया को भी दिखाना चाहती हूं।

नेशनल अवॉर्ड पाना है मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि
अभिनेत्री होने के साथ-साथ मैं लेखक भी हूं, लेकिन मैं खुद की सबसे बड़ी उपलब्धि नेशनल अवॉर्ड मानती हूं। यह अवॉर्ड मेरे अभिनय के लिए मुझे मिला है। जिसके लिए मैं इंडियन ऑडियंस का धन्यवाद करती हूं।

पंजाब के परांठे और मक्खन को करती हूं मिस
कल्कि ने कहा कि मैं जब भी शहर आई हूं, तो अभय देओल मेरे साथ रहे हैं। उन्होंने मुझे परांठे खिलाए हैं, जोकि मक्खन के साथ मिले थे। मुझे जब भी पंजाब की याद आती है या फिर यहां पर आने का मौका मिलता है तो मैं उन परांठों को जरूर याद करती हूं।
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