तीन वर्षो में 891 कोठियों की परिवार से बाहर बेची गई हिस्सेदारी

शहर में बड़ी-बड़ी कोठियों के प्रत्येक फ्लोर को अलग से एक यूनिट बना इसे अपार्टमेंट के तौर पर बेचे जाने के मामले में पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर चंडीगढ़ प्रशासन ने वीरवार को अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश की।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 06:36 AM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 06:36 AM (IST)
तीन वर्षो में  891 कोठियों की परिवार से बाहर बेची गई हिस्सेदारी
तीन वर्षो में 891 कोठियों की परिवार से बाहर बेची गई हिस्सेदारी

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : शहर में बड़ी-बड़ी कोठियों के प्रत्येक फ्लोर को अलग से एक यूनिट बना इसे अपार्टमेंट के तौर पर बेचे जाने के मामले में पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर चंडीगढ़ प्रशासन ने वीरवार को अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश की। प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में कोठियों का परिवार के बाहर 50, 30 या 20 प्रतिशत हिस्सा बेच करवाई गई सेल डीड का आंकड़ा दिया। बताया कि शहर में 28 अगस्त 2016 से 31 दिसंबर 2019 के बीच सेक्टर-4 से सेक्टर-46 के 891 मकानों की परिवार से बाहर हिस्सेदारी बेची गई। इन 891 घरों में से 281 घरों की फिजिकल वेरिफिकेशन की गई थी और उसका भी पूरा ब्यौरा दूसरी रिपोर्ट में हाई कोर्ट को सौंप दिया गया है।

इस रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि अगस्त 2016 से दिसंबर 2019 के बीच इन तीन वर्षों में सेक्टर-4 से लेकर सेक्टर-46 तक कोठियों का परिवार के बाहर 50, 30 या 20 प्रतिशत हिस्सा बेच सेल डीड करवाई गई है। ऐसा नहीं है कि इन तीन वर्षो में इन 891 कोठियों की सिर्फ एक बार परिवार से बाहर हिस्सेदारी बेची गई है, बल्कि कई कोठियों की एक से ज्यादा बार भी हिस्सेदारी बेच सेल डीड करवाई गई है। अब अगली सुनवाई पर याची की ओर से रखा जाएगा अपना पक्ष

हाई कोर्ट ने इन दोनों रिपो‌र्ट्स को अदालत में ओपन कर इनकी कॉपी याचिकाकर्ता पक्ष को दिए जाने के आदेश दे दिए हैं, ताकि वह भी इन रिपोर्ट की स्टडी कर मामले की अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रख सके। हाई कोर्ट ने इस मामले में अब सोमवार से बहस शुरू करने के आदेश दे दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को दिया था दो हफ्ते में केस का निपटारा करने का आदेश

हाई कोर्ट ने 27 जुलाई को आदेश दिए थे कि सबसे पहले एस्टेट ऑफिस के रिकॉर्ड को देखा जाए। इसके बाद उनकी फिजिकल वेरिफिकेशन की जाए और यह देखा जाए कि कहीं नियमों का उल्लंघन कर एक घर को फ्लोर वाइज या अपार्टमेंट के तौर पर परिवार के बाहर तो नहीं बेचा जा रहा है। हाई कोर्ट ने इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया था। कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फिजिकल सर्वे पर रोक लगा दी थी, लेकिन केस की आगे सुनवाई जारी रखने के हाई कोर्ट को आदेश दिए थे। इस बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद दो सप्ताह में निपटारा करने का आदेश दे दिया था। जनहित याचिका में इसे बताया था शहर के मास्टर प्लान का उल्लंघन

जनहित याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया था कि शहर के मास्टर प्लान का उल्लंघन कर एक ही यूनिट में अलग-अलग अपार्टमेंट बना उसे बेचा जा रहा है। इससे शहर का बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर ही बर्बाद हो जाएगा। खास तौर पर चंडीगढ़ के नॉर्दर्न सेक्टर में अपार्टमेंट का प्रावधान यहां के लिए घातक साबित हो सकता है। अगर अपार्टमेंट के प्रावधान को मंजूरी दी गई है तो इससे शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बोझ काफी बढ़ जाएगा, क्योंकि जब एक ही प्लॉट्स की अलग-अलग मंजिल को अलग-अलग लोगों को बेचा जाएगा तो उस जगह पर जनसंख्या का घनत्व काफी बढ़ जाएगा। ऐसे में इन जगहों पर अधिक वाहन और उनके लिए पार्किंग स्पेस की समस्या खड़ी हो जाएगी और ऐसा होना शुरू भी हो गया है।

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