जन्माष्टमी के रंग में रंगने लगे शहर के मंदिर और बाजार, इस बार नहीं फोड़ी जाएगी दही हांडी
कोरोना वायरस के चलते त्योहारों के दिनों में अब वैसी रौनक देखने को नहीं मिलती जैसे पिछले सालों में देखने को मिलती थी। इस बार जन्माष्टमी का त्योहार भी अॉनलाइन ही मनाया जाएगा।
चंडीगढ़, सुमेश ठाकुर। जन्माष्टमी का त्योहार कोरोना काल के दौरान फीका न रह जाए, इसके लिए शहर की मार्केट और मंदिरों ने तैयारियां करनी शुरू कर दी है। 12 अगस्त को मनाई जाने वाली जन्माष्टमी को लेकर बाजार में सामान आ चुका है, इसमें भगवान श्रीकृष्ण के कपड़े, झूला, बांसुरी और मुकुट अहम है। भगवान श्रीकृष्ण के अलावा राधा के लिए भी कपड़े बाजार में मिल रहे है। इस बार सामान में चमक ज्यादा है क्योंकि सजावट के लिए भारतीय सामान का इस्तेमाल किया गया है। किसी भी सामान में चाइनीज वस्तु का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
मंदिरों में हो रही जन्माष्टमी को लेकर विशेष तैयारियां
जन्माष्टमी मनाने को लेकर कई मंदिरों ने तैयारियां करनी शुरू कर दी है। शहर के गौडीय मठ मंदिर सेक्टर-20 में बीते एक महीने से ऑनलाइन पूजा-अर्चना चल रही है। इसी प्रकार से शहर के अन्य मंदिरों ने भी इस बार जन्माष्टमी के कार्यक्रमों को ऑनलाइन कराने का निर्णय लिया है। मंदिर प्रबंधकों के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए कम से कम भीड़ होनी चाहिए। वहीं, भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आए इसके लिए इंटरनेट की सहायता से दर्शन कराए जाएंगे।
नहीं फोड़ी जाएगी दही हांडी
गौडीय मठ मंदिर सेक्टर-20 सहित शहर के अलग-अलग मंदिरों में दही हांडी फोड़ने की रस्म अदा की जाती थी। इसमें बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग शामिल होते थे लेकिन इस बार इस रस्म को शहर में नहीं करने का निर्णय लिया गया है। यह पहली बार होगा जब दही हांडी की रस्म नहीं होगी। गौडीय मठ मंदिर सेक्टर-20 इस्कॉन मंदिर सेक्टर-36 और जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-31 में रासलीला का आयोजन भी नहीं किया जाएगा।