स्कूल में पढ़ाई कराने के अलावा बीएलओ की ड्यूटी नहीं देंगे शिक्षक
सरकारी स्कूल में कार्यरत टीचर्स अब सिर्फ स्कूल में स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम करेंगे। चुनाव आयोग द्वारा वोट बनाने या फिर जनगणना जैसा कोई काम टीचर्स नहीं करेंगे। इसके साथ ही डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कोरोना नियमों का पालन न करने वालों के चालान काटने के काम भी टीचर्स नहीं करेंगे।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सरकारी स्कूल में कार्यरत टीचर्स अब सिर्फ स्कूल में स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम करेंगे। चुनाव आयोग द्वारा वोट बनाने या फिर जनगणना जैसा कोई काम टीचर्स नहीं करेंगे। इसके साथ ही डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कोरोना नियमों का पालन न करने वालों के चालान काटने के काम भी टीचर्स नहीं करेंगे। यह निर्णय शहर के सरकारी स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों ने एसडीएम साउथ रूपेश अग्रवाल और डीसी आफिस सेक्टर-17 में धरना देने के बाद लिया। शुक्रवार सुबह बीएलओ की ड्यूटी निभा रहे डेढ़ सौ के करीब शिक्षक और क्लेरिकल स्टाफ ने एसडीएम साउथ कार्यालय सेक्टर-42 में धरना दिया। एसडीएम ने टीचर्स की मांग मानने से इंकार किया तो टीचर्स डीसी कार्यालय सेक्टर-17 पहुंचे जहां पर एडीसी केपीएस माही से मिले। एसडीसी ने टीचर्स की बात सुनकर मामले के निपटान का आश्वासन दिया जिसके बाद टीचर्स ने घोषणा की कि वह सिर्फ स्कूल में जाकर पढ़ाई करवाएंगे इसके अलावा दूसरा कोई काम नहीं करेंगे।
यह है मामला
शहर के टीचर्स से वोट बनाने से लेकर जनगणना और विभिन्न प्रकार के सर्वे करने का कार्य कराया जाता है। स्कूलों में कार्यरत करीब तीन सौ टीचिग और नॉन टीचिग स्टाफ को इस समय वोट बनाने का काम दिया गया है। यह काम टीचर्स को सुबह सात से नौ बजे तक और शाम पांच बजे से सात बजे तक करना होगा। सुबह नौ बजे से तीन बजे तक स्कूल में भी काम करना होता है। टीचर्स का कहना है कि इस समय 12 घंटे काम लिया जा रहा है जो कि ज्यादा है। सबसे बड़ी परेशानी आनलाइन-आफलाइन पढ़ाई के साथ पीसा और नेशनल अचीवमेंट सर्वे के लिए स्टूडेंट्स को तैयार करना है। स्टूडेंट्स को अतिरिक्त समय देकर पढ़ाई करानी पड़ रही है लेकिन बीएलओ के काम से परेशानी हो रही है।
कोट्स-
21 सितंबर को अलग-अलग कार्यो में व्यस्त हूं। 22 सितंबर के बाद टीचर्स से मिलकर मामले का निपटान किया जाएगा।
-डा. पालिका अरोड़ा, डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन।