प्रतिभाशाली गायक आयुश द्विवेदी ने अॉनलाइन दी ध्रुपद गायन की प्रस्तुति

आयुश द्विवेदी कानपुर के बहुत ही प्रतिभावान कलाकार हैं जिन्होंने इतने कम समय में संगीत जगत में नए आयाम स्थापित किए हैं। सधी हुई आवाज संगीत की समझ और कठिन साधना आयुश के वो गुण हैं जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 03:11 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 03:11 PM (IST)
प्रतिभाशाली गायक आयुश द्विवेदी ने अॉनलाइन दी ध्रुपद गायन की प्रस्तुति
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण प्राचीन कला केंद्र के अधिकृत यूट्यूब चैनल, फेसबुक तथा ट्वीटर पेज पर किया गया।

चंडीगढ़, जेएनएन। प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित साप्ताहिक बैठक की सोलहवीं कड़ी में युवा व प्रतिभाशाली गायक आयुश द्विवेदी ने अपने ध्रुपद गायन की प्रस्तुति से संगीत प्रेमियों को सराबोर किया। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण प्राचीन कला केंद्र के अधिकृत यूट्यूब चैनल, फेसबुक तथा ट्वीटर पेज पर किया गया। इसमें कानपुर के युवा ध्रुपद गायक आयुश द्विवेदी ने अपने गायन से दर्शकों को संगीत के मधुर स्वरों से सराबोर किया। आयुश द्विवेदी कानपुर के बहुत ही प्रतिभावान कलाकार हैं, जिन्होंने इतने कम समय में संगीत जगत में नए आयाम स्थापित किए हैं।

सधी हुई आवाज, संगीत की समझ और कठिन साधना आयुश के वो गुण हैं जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा दिया। आयुश ने संगीत की शिक्षा अपने पिता पंडित विनोद कुमार द्विवेदी से प्राप्त की है। आयुश ऑल इंडिया रेडियो के कलाकार हैं। डागर एवं दरभंगा घरानों में महारथ रखने वाले आयुश युवा कलाकारों में ध्रुपद गायन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत आयुश ने राग बागेश्री में चार खंडों में अलाप से की। इसके बाद इन्होंने चौताल की बंदिश ‘पायो महाराज आज तीन के राज पेश की। इसके पश्चात सूलताल में निबंध रचना माता बागेश्री सरस्वती शारदा पेश की। कार्यक्रम के अंत में राग केदार में निबद्ध सूलताल से सजी रचना ‘‘जय जय हनुमान’’ से कार्यक्रम का समापन किया। इनके साथ पखावज पर मुकेश कुमार द्विवेदी ने संगत की।

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