Punjab Congress: कैप्टन-सिद्धू के झगड़े में क्या सुनील जाखड़ बनेंगे बलि का बकरा, चर्चाएं गर्म
पंजाब कांग्रेस की कलह के शांत करने के लिए केंद्रीय कमेटी की रिपोर्ट सोनिया गांधी के पास है और इसके आधार पर आलाकमान जल्द ही कदम उठा सकती है। चर्चाएं गर्म है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह के झगड़े में सुनील जाखड़ बलि का बकरा बन सकते हैं।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। Punjab Congress Dispute: पंजाब कांग्रेस के विवाद का निपटारा करने के लिए मलिकार्जुन खड़गे कमेटी की रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है। बताया जाता है कि सोनिया गांधी ने इस पर अंतिम फैसला कर लिया है और इस संबंध में पार्टी जल्द ही कदम उठाएगी। संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी आलाकमान पंजाब कांग्रेस में बड़े कदम उठाने की तैयारी में है। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि सीएक कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह के झगड़े में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ फिर बलि का बकरा बन सकते हैं।
पूरे मामले में सोनिया गांधी की ओर से ही लिया जाना है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इससे पहले भी पंजाब कांग्रेस मेंआंतरिक कलह हुई है, उसका खामियाजा सुनील जाखड़ को ही भुगतना पड़ा। वह कैप्टन खेमे के करीब माने जाते रहे हैं। कैप्टन -सिद्धू विवाद में बलि का बकरा एक बार फिर से सुनील जाखड़ के बनने की चर्चा है। यह चर्चा पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के अपने ही बयान से शुरू हुई है जो उन्होंने शुक्रवार को दिया था। आज भी उन्होंने कहा कि वह कुर्सी से चिपटे हुए नेता नहीं हैं। अगर उनको हटाए जाने से पार्टी मजबूत होती है तो वह इसके लिए तैयार हैं। पार्टी हाई कमान कोई चीज अधर में न लटकाए। कोई न कोई फैसला कर दिया जाना चाहिए।
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बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रताप सिंह बाजवा के बीच तनातनी चली थी। तब कांग्रेस के प्रधान प्रताप सिंह बाजवा को प्रधान के पद से उतारने के लिए पूरी मुहिम चलाई गई। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी हाईकमान के आगे ऐसी स्थिति खड़ी कर दी कि यदि उन्हें प्रधान नहीं बनाया गया तो वह अलग से पार्टी बना लेंगे।
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दिल्ली दरबार ने विधायकों और पार्टी के नेताओं के इस कलह को खत्म करने के लिए एक बीच का रास्ता निकालते हुए प्रताप सिंह बाजवा को प्रधान पद से हटाकर कैप्टन अमरिंदर को पंजाब कांग्रेस की बागडोर सौंप दी लेकिन साथ ही कैप्टन के नजदीकी माने जाने वाले सुनील जाखड़ को भी अपना विपक्ष के नेता का पद गंवाना पड़ा। पार्टी ने दलित कार्ड खेलते हुए सुनील जाखड़ की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को विपक्ष का नेता बना दिया। पार्टी ने बाजवा को राज्य सभा की सदस्यता देकर उन्हें एडजस्ट कर दिया लेकिन जाखड़ यहां भी खाली हाथ रहे क्योंकि दूसरी राज्यसभा की सीट दलित कोटे से सीनियर कांग्रेस नेता शमशेर सिंह दूलो को मिल गई।
इस बार कैप्टन बनाम सिद्धू के बीच में लाइन खींची हुई है। पार्टी संगठन में बदलाव की अटकलें चल रही हैं। चूंकि भाजपा ने दलित मुख्यमंत्री और अकाली दल ने दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया है। इससे कांग्रेस भी दुविधा में है। वह भी कांग्रेस के प्रधान के रूप में दलित नेता को आगे लाने की सोच रही है जिसके साथ दो वर्किंग प्रधान एक हिंदू और एक पिछड़े समाज से लगाया जाए।
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खड़गे कमेटी ने नवजोत सिद्धू को हर हालत में एडजस्ट करने की बात की है। सिद्धू मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिमंडल में जाने को तैयार नहीं है। वह प्रदेश प्रधान बनना चाहते हैं । कैप्टन इसके विरोध में हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सुनील जाखड़ फिर बलि का बकरा बनेंगे।
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