कृषि सुधार कानूनों पर बोले सुखबीर बादल, केंद्र धाराएं बदलने को तैयार तो कानून रद क्यों नहीं कर करती
शिरोमणि अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक शिअद प्रधान सुखबीर बादल (Sukhbir Singh Badal) की अध्यक्षता में हुई। इस दौरान शिअद ने भाजपा को चेतावनी दी कि वह कांग्रेस की तरह राष्ट्रीय एकता को कमजोर न करें।
जेएनएन, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह ऐसा कोई लापरवाही भरा या दमनकारी कदम न उठाए, जिससे किसानों के मन के भावनात्मक घाव गहरे हो जाएं। अकाली नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार, कांग्रेस की तरह बांटो और राज करो की नीति को न दोहराए, जिससे राष्ट्रीय एकता कमजोर होने या या शांति व साम्प्रदायिक सदभावना को ठेस पहुंचती हो।
पार्टी प्रधान सुखबीर बादल (Sukhbir Singh Badal) की अगुवाई में हुई बैठक में पार्टी के स्थापना दिवस को 'संघर्ष समर्पण दिवस' के रूप में सरबत दा भला (सभी का भला) के लिए मनाने का फैसला करके किसानों के हितों व उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। बैठक के बाद सुखबीर बादल ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि अगर सरकार पुराने कानून की धाराएं बदलने के लिए तैयार है तो कानून रद क्यों नहीं किए जा सकते। आखिर किसानों की मांगों को स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा और केंद्र सरकार किसानों की मांगों को लेकर दोबारा अधिनियम बनाकर इस पर बहस कर समाधान क्यों नहीं कर देती।
उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक, राष्ट्रवादी व धर्मनिरपेक्ष आंदोलन है। जिसमें भारत बंद के दौरान हर वर्ग ने इसका समर्थन किया। किसानों के संघर्ष को साम्प्रदायिक और अलगाववादी साजिश का रंग न दिया जाए। इस धरने में शामिल कई किसानों के बेटे अब भी चीन और पाकिस्तान से सटी भारत की सीमा की रक्षा करने में लगे हुए हैं।
बैठक में प्रस्ताव पारित कर हिंदू व सिखों और किसानों व व्यापारियों को बांटने की साजिश के संकेत मिलने पर चिंता व्यक्त करते हुए अकाली नेताओं ने कहा कि यह राष्ट्र विरोधी साजिश है और अकाली दल इसके खिलाफ लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाए कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस आंदोलन को कमजोर करने और किसानों को बांटने की कोशिश कर रहे हैैं।
हैरानी इस बात को लेकर है कि कृषि प्रधान राज्य के मुख्यमंत्री ने केंद्र के खिलाफ एक भी बात नहीं कही। बैठक में बलविंदर सिंह भूदंड़, एसजीपीसी अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, जत्थेदार तोता सिंह, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, चरनजीत सिंह अटवाल, महेश इंदर सिंह ग्रेवाल, डा. दलजीत सिंह चीमा, बिक्रम सिंह मजीठिया आदि मौजूद रहे।