चंडीगढ़ व्यापार सदन का प्रशासन को सुझाव, जरूरी और गैर जरूरी वस्तुओं की दुकानों का समय अलग किया जाए
कोरोना की चेन तोड़ने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने कई पाबंदियां लगाई हैं। ऐसे में शहर के व्यापारी फैसले से नाराज चल रहे हैं। व्यापार सदन के अध्यक्ष अरविंद जैन ने प्रशासन को सुझाव दिया है कि गैर जरूरी और जरूरी वस्तुओं की दुकानें खोलने का समय अलग किया जाए।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहर के अलग अलग व्यापारी संगठन इस समय अलग अलग सुझाव प्रशासन को दे रहे हैं। व्यापार मंडल के बाद व्यापार सदन ने प्रशासक को सुझाव भेजे हैं। व्यापार सदन के अध्यक्ष अरविंद जैन ने प्रशासक को भेजे सुझाव में कहा है कि गैर जरूरी और जरूरी वस्तुओं की दुकानों को खोलने का समय अलग अलग किया जाए।
उन्होंने कहा कि सभी जरूरी वस्तुओं की दुकानों को खोलने का समय दिन में सुबह छह से दोपहर 12बजे तक का किया जाए जबकि गैर जरूरी वस्तुओं की दुकानों को खोलने का समय दोपहर एक से शाम छह बजे तक किया जाए और छह बजे के बाद पूरी तरह से कर्फ्यू लगाया जाए।
मालूम हो कि प्रशासन ने चार अप्रैल से जो पाबंदियां लगाई हैं उसके अनुसार गैर जरूरी वस्तुओं की दुकानों के खोलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। ऐसे में व्यापार सदन ने मांग की है कि अगर लॉकडाउन लगाना है तो दुकानदार और उनके कर्मचारियों को राहत दी जाए। सरकार की ओर से दुकानों और घर के किराये में छूट देनी चाहिए। शराब की दुकानों पर पूरी तरह से पाबंदी लगनी चाहिए। वहीं चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चावला ने सलाहकार मनोज परिदा को पत्र लिखकर चंडीगढ़ में गाड़ियों के मैकेनिकों की दुकानों को खोलने की मांग की है।
व्यापार मंडल ने यह दी है राय
व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष अनिल वोहरा ने सलाहकार मनोज परिदा से मिलकर कहा है कि गैर जरूरी वस्तुओं की दुकानें बंद करने की बजाय इस तरह का सिस्टम बनाया जाए कि सभी को दुकानें खोलने की मंजूरी मिले। उन्होंने कहा कि ऑड ईवन का सिस्टम लागू करना चाहिए ताकि सभी जरूरी और गैर जरूरी वस्तुओं को बचने वाले दुकानदारों को बराबर काम करने का अधिकार मिले।
व्यापार मंडल के महासचिव संजीव चड्ढा ने कहा कि कोरोना के कारण ग्राहक पहले से बाजारों में कम आ रहे हैं। शहर के सभी दुकानदार कोरोना के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। व्यापारी बाजार में आने वाले लाेगों को जागरूक भी कर रहे हैं।
कमलजीत पंछी ने सलाहकार को कहा कि व्यापारियों को बिजली, पानी और प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करने वाले बिलों में छूट देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दुकानदारों को किराया भी देना पड़ता है। कर्मचारियों को वेतन भी देना पड़ता है। मालूम हो कि इस समय कई गैर जरूरी वस्तुओं के दुकानदार ने जरूरी वस्तुओं का कारोबार करना भी शुरू कर दिया है।