JEE Advanced में एआइआर- 8 हासिल करने वाले चंडीगढ़ के चैतन्य की सक्सेस स्टोरी, दिन में 10 घंटे पढ़ाई कर पाया मुकाम
चैतन्य अग्रवाल के पिता संजीव गुप्ता रियल एस्टेट कारोबारी हैं और उनकी मां निशा सिंगला पीजीआइ में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर हैं। चैतन्य अग्रवाल सेक्टर-34 स्थित श्री चैतन्य इंस्टीट्यूट के छात्र हैं और उसने अपनी 12वीं क्लास सेक्टर-40 स्थित गुरु हरकिशन स्कूल से की है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। मेहनत और लग्न से हर मुश्किल काम आसान बन जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चैतन्य अग्रवाल ने। चंडीगढ़ के चैतन्य अग्रवाल ने जेईई एडवांस्ड परीक्षा में ऑल इंडिया 8वां रैंक हासिल किया है। इस उपलब्धि पर चैतन्य ने अपनी सक्सेस स्टोरी का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने इस मुकाम को पाने के लिए कितनी मेहनत की और क्या उनका रूटीन था।
चैतन्य अग्रवाल के पिता संजीव गुप्ता रियल एस्टेट कारोबारी हैं और उनकी मां निशा सिंगला पीजीआइ में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर हैं। चैतन्य अग्रवाल सेक्टर-34 स्थित श्री चैतन्य इंस्टीट्यूट के छात्र हैं और उसने अपनी 12वीं क्लास सेक्टर-40 स्थित गुरु हरकिशन स्कूल से की है।
अपनी सफलता का श्रेय अपने अभिभावकों और टीचर्स को देते हुए चैतन्य ने कहा कि जहां एक ओर उन्होंने दिन में 10 घंटे पढ़ाई को दिए, वहीं उनके टीचर्स ने हर डाउट को बेहतरीन ढंग से क्लीर किया। इसके अलावा उनके अभिभावकों ने कभी भी उनका हौंसला टूटने नहीं दिया। श्री चैतन्य इंस्टीट्यूट से चंडीगढ़ के चैतन्य अग्रवाल (एआइआर 8), प्रथम गर्ग (एआइआर 20) और खुशांग सिंगला (एआइआर 30) हासिल किया है। चैतन्य अग्रवाल ने जेईई एडवांस्ड में 360 में से 324 अंक हासिल कर एआइआर-8 हासिल किया।
स्मार्ट फोन से बनाई दूरी, मिली कामयाबी
मोबाइल को समय न देकर चैतन्य ने पढ़ाई पर अपना समय लगाया था। उन्होंने बताया कि जब वह 11वीं क्लास में तो उन्होंने बटन वाला छोटा मोबाइल लिया था क्योंकि इंस्टीट्यूट आना होता था। उसके बाद 12वीं क्लास में उन्होंने स्मार्ट फोन तो लिया लेकिन उसे दूरी ही बना कर रखी। स्मार्ट फोन केवल वाट्सएप चलाने के लिए रखा था क्योंकि उस पर इंस्टीट्यूट की ओर से नोटस भेजे जाते थे। इसलिए कुछ समय के लिए मोबाइल यूज करते थे।
इंजीनियरिंग में शुरू से था मन
चैतन्य ने बताया कि उनका शुरू से ही इंजीनियारिंग में मन लगता था।स्कूल में और घर पर भी वह इंजीनियर बनना चाहते थे।उन्होंने इसी लक्ष्य को अपने दिल में बैठा कर मेहनत करनी शुरु कर दी थी।क्लास दर क्लास पढ़ाई के साथ साथ करंट अफेयर्स पढ़ता रहा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान नियमित रूप से वीकली टेस्ट को हल किया, जिससे मुझे सेल्फ एनालसिस (आत्म-विश्लेषण) करने और अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार करने में मदद मिली।
बॉम्बे आइआइटी में लेना दाखिला
चैतन्य अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने आइआइटी बॉम्बे में दाखिला लेना और बी-टैक करनी है। उन्होंने कहा आप जो कुछ भी पढ़ते हैं, उसे नियमित अंतराल पर रिवाइज जरुर करे। यदि आप अच्छी तरह से पढ़ाई की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आपकी स्टडी के घंटे वास्तव में मायने नहीं रखेंगे।