चंडीगढ़ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मजबूत करने के लिए ग्राउंड लेवल पर होगी स्टडी, प्रशासन ने फाइनल की कंपनी

कंपनी जो स्टडी करेगी उसमें यह भी देखेगी कि पंचकूला और मोहाली से आने वाले वाहनों का फ्लो कैसा है। रोजाना कितने वाहन शहर में दाखिल होते हैं। किस शहर से और कौन से रास्ते से कितने वाहन आते हैं यह सभी स्टडी में शामिल होगा।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 10:47 AM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 10:47 AM (IST)
चंडीगढ़ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मजबूत करने के लिए ग्राउंड लेवल पर होगी स्टडी, प्रशासन ने फाइनल की कंपनी
चंडीगढ़ में ट्रैफिक जाम की समस्या अब आम हो गई है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में बढ़ते ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करना बेहद जरूरी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब यह देखा जाएगा कि ऐसा कौन सा विकल्प शहर के लिए सही रहेगा जो पैसेंजर को बेहतद सेवा दे और लोग कारों को बेवजह चलाना छोड़ दें। इसके लिए प्रशासन नए सिरे से स्टडी करेगा। देखेगा कि किस चौक पर वाहनों की संख्या किस समय कितनी रहती है। पंचकूला और मोहाली से रोजाना कितने वाहन चंडीगढ़ आते हैं।

ग्राउंड लेवल पर स्टडी के लिए प्रशासन ने एक बार फिर से रेल इंडिया टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक्स सर्विस लिमिटेड (राइट्स) कंपनी को फाइनल कर दिया है। यह कंपनी शहर में वाहनों के फ्लो और पैसेंजर की संख्या को देखते हुए आंकलन करेगी। कंपनी को आठ से दस महीने में स्टडी पूरी करने के बाद रिपोर्ट प्रशासन को सौंपनी होगी। इसके बाद यह तय होगा कि मेट्रो, मोनो रेल, ट्राम या स्काई बस कौनसा विकल्प शहर के लिए सही है। कंपनी जो स्टडी करेगी उसमें यह भी देखेगी कि पंचकूला और मोहाली से आने वाले वाहनों का फ्लो कैसा है। रोजाना कितने वाहन शहर में दाखिल होते हैं। किस शहर से और कौन से रास्ते से कितने वाहन आते हैं यह सभी स्टडी में शामिल होगा। इस दौरान देखा जाएगा कि शहर का कौन सा चौक कितना व्यस्त है। हालांकि अभी यह स्टडी चंडीगढ़ बेस्ड ही होगी। चंडीगढ़ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए स्टडी हो रही है। प्रशासन ने इस कंपनी को फाइनल किया है। हालांकि बाद में पंचकूला और मोहाली प्रशासन के साथ मीटिंग के बाद उन्हें जोड़ा जा सकता है। पहले मेट्रो के लिए भी ऐसा ही हुआ था।

2009 में भी राइट्स ने की थी स्टडी

इससे पहले 2009 में भी राइट्स ने स्टडी पूरी करने के बाद रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी। मेट्रो प्रोजेक्ट का काम इस दौरान ही शुरू हुआ था। इसके बाद मेट्रो की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई गई। हालांकि बाद में प्रोजेक्ट लागत अधिक होने की वजह से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। राइट्स ने जो पहली रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी पहले प्रशासन ने उसे ही अपडेट कराने की कोशिश की। राइट्स कंपनी को बुलाकर इसे अपडेट करने के लिए कहा। लेकिन कंपनी ने स्पष्ट कर दिया कि किसी भी स्टडी का महत्व पांच साल के लिए ही होता है। इसके बाद उसकी कोई अहमियत नहीं है। कारण यह है कि इस दौरान वाहनों की संख्या और पैसेंजर कितने बढ़े इसका आकलन ऐसे नहीं किया जा सकता। कंपनी ने दोबारा नए सिरे से स्टडी का सुझाव दिया था। इसके बाद ही प्रशासन ने दोबारा से स्टडी कराने के लिए कंपनी फाइनल करने की प्रक्रिया शुरू की थी।

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