चंडीगढ़ में 19 महीने के बाद स्कूल पहुंचे पहली से चौथी क्लास के स्टूडेंट्स, मास्क के साथ क्लारूम में एंट्री
सुबह आठ बजे स्कूलों के बाहर अभिभावकों का जमवाड़ा लगना शुरू हो गया था। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे थे। सभी बच्चों ने मुंह पर मास्क पहने हुए थे। ऐसे में स्टूडेंट्स स्कूल में पहुंचने पर उत्साहित थे।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। कोरोना महामारी की शुरुआत से बंद हुए शहर के सरकारी व प्राइवेट स्कूल अब पूरी तरह से खुल चुके हैं। पहली से 12वीं तक की कक्षाओं के बच्चे अब स्कूल आना शुरू हो गए हैं। 19 महीनों के बाद आज से पहली से चौथी कक्षा तक के बच्चों के लिए शहर के सरकारी और प्रवाइवेट स्कूल खोल दिए गए हैं। ऐसे में स्कूलों में चहल पहल पहले की तरह लौट आई है। हालांकि पहले दिन कम संख्या में बच्चे स्कूल पहुंचे हैं। कुछ सरकारी स्कूलों में पहली क्लास के स्टूडेंट्स को नहीं बुलाया गया तो कुछ स्कूलों में पहली से तीसरी क्लास के स्टूडेंट्स आए।
सुबह आठ बजे स्कूलों के बाहर अभिभावकों का जमवाड़ा लगना शुरू हो गया था। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे थे। सभी बच्चों ने मुंह पर मास्क पहने हुए थे। ऐसे में स्टूडेंट्स स्कूल में पहुंचने पर उत्साहित थे। प्राइवेट स्कूलों में क्लास वाइज स्टूडेंट्स को बुलाया जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों में तीसरी क्लास के स्टूडेंट्स को आज बुलाया गया है। ऐसे में अगर आज तीसरी क्लास के स्टूडेंट्स स्कूल आए तो अगले दिन चौथी कक्षा के स्टूडेंट्स को बुलाया जाएगा। जो स्टूडेंट्स आज स्कूल आए हैं, उन्हें कल स्कूल नहीं बुलाया जाएगा।
छोटे बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए उनके अभिभावक पहुंचे थे।
बच्चों के लिए स्कूल में किए गए थे विशेष प्रबंध
कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों के लिए खास प्रबंध किए गए हैं। कोरोना बचाव नियमों के तहत एक बेंच पर केवल एक ही स्टूडेंट को बैठने की व्यवस्था की गई है। स्टूडेंट्स को क्लास से पहले कोरोना बचाव के उपायों की जानकारी दी गई।
स्कूल खुलने के पहले दिन क्लासरूम में पढ़ाई करते बच्चे।
अभिभावक खुश, बोले स्कूल में ही हो सकती है बेहतर पढ़ाई
गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मनीमाजरा मॉर्डन कांप्लेक्स में दूसरी क्लास में अपने बच्चे को छोड़ने आए अभिभावकों ने बताया कि 19 महीने से स्कूल बंद थे। ऑनलाइन पढ़ाई तो चल रही थी लेकिन जो पढ़ाई स्कूल में होती है, वहीं बेहतरीन है। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे का सिलेबस को पूरा करवाया जा सकता है लेकिन उसको समझाया नहीं जा सकता। वहीं स्कूल में बैठकर बच्चे को अगर कुछ समझ नहीं आता है तो वह उसी समय टीचर से पूछ सकता है जबकि ऑनलाइन पढ़ाई में ऐसा बहुत मुश्किल से होता है।
हर क्लासरूम में सेनिटाइजर की व्यवस्था
सरकारी स्कूलों में टीचर की ओर से अपने स्तर पर कोरोना से बचाव के उपाय किए गए थे।जहां एक ओर स्कूल के मुख्य गेट पर सेनिटाइजर स्टैंड लगाया गया था, वहीं क्लासरुम में भी स्टूडेंट्स के लिए सेनिटाइजर की व्यवस्था की हुई है।इसके साथ ही स्टूडेंट्स को स्कूल एंट्री के समय से लेकर क्लासरुम में बैठने तक मास्क लगाना अनिवार्य किया हुआ है।