कैप्टन अमरिंदर की अमित शाह से मुलाकात टलना रणनीति या पूूर्व सीएम को तौल रही भाजपा

Captain Amarinder Singh and Amit Shah Meeting पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की वीरवार को केंद्रीय गृहमंंत्री अमित शाह से मुलाकात नहीं हो सकी। इसको लेकर पंजाब की सियासत में सवाल उठ रहे हैं कि मुलाकाल टलने में कोई रणनीति है या भाजपा कैप्‍टन को तौल रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 10:04 PM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 10:36 AM (IST)
कैप्टन अमरिंदर की अमित शाह से मुलाकात टलना रणनीति या पूूर्व सीएम को तौल रही भाजपा
केंंद्रीय गृहमंत्रीीअमित शाह के साथ पंजाब के पूर्व सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंंह। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Captain Amarinder Singh and Amit Shah Meeting: पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की वीरवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक नहीं हो पाई। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह अपने साथ 20-25 कृषि विशेषज्ञों साथ दिल्‍ली पहुंचे थे और केंद्रीय गृहमंत्री से उनकी केंद्रीय कृषि कानूनों व किसान आंदोलन को लेकर बातचीत होनी थी। इसी कारण इस बैठक पर कांग्रेस सहित सभी पार्टियोंं की नजर लगी थी। ऐसे में पंजाब की सियासत में सवाल उठ रहे हैं कि कैप्‍टन अमरिंदर व अमित शाह की बैठक को टालने में कोई रणन‍ीति है या भाजपा पूर्व सीएम के सियासी वजन को तौल रही है।                 

बता दें कि बुधवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में खुद इस बात की जानकारी दी थी कि 28 अक्टूबर को उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक होगी। इसमें उनके साथ करीब 25 कृषि विशेषज्ञ होंगे,  जोकि कृषि कानूनों को लेकर चर्चा करेंगे। कैप्टन गुट की माने तो यह बैठक देर शाम सात बजे तय हुई थी। इसे अमित शाह की गुजरात यात्रा के कारण टाल दिया गया। इस बैठक के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बुधवार शाम को ही दिल्ली चले गए थे।

कैप्टन अमरिंदर ने यह घोषणा की थी कि वह अपनी पार्टी बनाकर भाजपा के साथ सीटों पर समझौता करेंगे। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा कैप्टन के जरिये किसान आंदोलन का हल ढूंढ रही है। इस बैठक को लेकर कांग्रेस में खासी बेचैनी भी पाई जा रही थी। कैप्‍टन की इस घोषणा के बाद राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को दिल्ली बुला लिया था।

वहीं, इस बैठक के नहीं होने से राजनीतिक रूप से यह चर्चा चल रही है कि भाजपा अब कैप्टन के वजन को तौल रही है। क्योंकि, बुधवार को कैप्टन द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उनके साथ कोई भी बड़ा राजनीतिक चेहरा मौजूद नहीं था। ऐसे में क्या कैप्टन जो दावा कह रहे हैं कि उनके साथ कई कांग्रेसी विधायक संपर्क में हैं, वह उनके साथ पार्टी बनाने के बाद जाएंगे या नहीं। दरअसल, सरकार में रहते हुए जो लोग कभी कैप्टन के इर्द-गिर्द घूमा करते थे, वे भी अब उनसे कन्नी काटत नजर आ रहे हैं। वह भी अब कैप्टन के साथ जाने या नहीं जाने को लेकर नफा नुकसान का आंकलन करने में जुटे है।

वहीं, एक वर्ग यह भी मान रहा है कि आज की बैठक न होना एक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। 18 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जब कैप्टन पहली बार दिल्ली गए थे तो चर्चा थी कि वह अमित शाह से मिलेंगे लेकिन उनकी मुलाकात अगले दिन ही हुई थी। चूंकि कांग्रेस की नजर कैप्टन के हरेक मूवमेंट पर है। अत: योजनाबद्ध तरीके से ही आज की बैठक को टाल दिया गया।

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