खेल ही है मिल्खा सिंह के जीवन का सार, पूरा जीवन रहा खेल को समर्पित, खिलाड़ियों को किया प्रमोट

फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का पीजीआइ चंडीगढ़ में शुक्रवार रात देहांत हो गया। उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह का पूरा जीवन खेल को समर्पित रहा। उन्होंने पहले देश के लिए मेडल जीते और फिर अलग-अलग मंचों से जुड़कर खेल व खिलाड़ियों को प्रमोट किया।

By Edited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 04:06 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 10:32 AM (IST)
खेल ही है मिल्खा सिंह के जीवन का सार, पूरा जीवन रहा खेल को समर्पित, खिलाड़ियों को किया प्रमोट
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का पीजीआइ चंडीगढ़ में शुक्रवार रात देहांत हो गया।

चंडीगढ़, जेएनएन। उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह (Flying Sikh Milkha Singh) का पूरा जीवन खेल को समर्पित रहा। उन्होंने पहले देश के लिए मेडल जीते और फिर अलग-अलग मंचों से जुड़कर खेल व खिलाड़ियों को प्रमोट किया। इतना ही नहीं कुछ दिन पहले मिल्खा सिंह ने एथलीट हिमादास को टोक्यो ओलंपिक-2021 में मेडल जीतने के टिप्स दिए थे।

इसी दौरान दैनिक जागरण से बातचीत में मिल्खा सिंह ने बताया था कि मैं खुद 400 मीटर रेस का धावक रहा हूं, इसीलिए मैंने हिमादास को फोन पर तैयारी के टिप्स दिए हैं। इतना ही नहीं मैंने हेमादास के कोच से बात कर उन्हें भी बताया है कि वह कैसे उनकी ओलंपिक के लिए तैयारी करवाएं। मिल्खा बताते थे कि आज देश में बेहतर खेल सुविधाएं हैं, हमारे जमाने में इतने अच्छे खेल मैदान तो दूर खेलमंत्री तक नहीं होता था, बावजूद इसके हमने बेहतरीन कोशिश की। अब सब सुविधाएं मिल रही हैं तो खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद की जा सकती है।

खेल जगत में इकलौते बाप-बेटा जिन्हें मिला है पद्मश्री

मिल्खा सिंह और उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह इकलौते ऐसे पिता-पुत्र की जोड़ी थी, जिन्हें उनकी खेल उपलब्धियों के लिए पद्मश्री अवार्ड मिला है। बता दें स्वर्गीय मिल्खा सिंह के बेटे जीव मिल्खा सिंह इंटरनेशनल स्तर के गोल्फर हैं। जीव मिल्खा सिंह देश के इकलौते भारतीय गोल्फर हैं, जिन्होंने दो बार 2006 और 2008 में एशियन टूर आर्डर ऑफ मेरिट जीता है। वह यूरोपियन टूर, जापान टूर और एशियन टूर में खिताब जीत चुके हैं। जीव मिल्खा सिंह अपने करियर में 28वीं विश्व रैंकिंग हासिल की थी, इसके ऊपर अभी तक किसी भारतीय गोल्फर की व‌र्ल्ड रैंकिंग नहीं रही है। उनकी इन्हीं खेल उपलब्धियों के लिए भारत सरकार उन्हें भी पद्मश्री सम्मान दे चुकी है।

पूरा परिवार रहा खेल को समर्पित

मिल्खा सिंह का पूरा परिवार खेल को समíपत रहा है। उनकी पत्नी निर्मल कौर पूर्व भारतीय महिला वॉलीबॉल कप्तान रह चुकी हैं। उनकी तीन बेटिया और एक बेटा है। जीव मिल्खा सिंह इंटरनेशनल स्तर के गोल्फर हैं। मिल्खा सिंह की बेटी सोनिया ने उनकी आत्मकथा द रेस ऑफ माई लाइफ लिखी है।

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