पंजाब के मंत्री कांगड़ के करोड़पति दामाद को 'स्पेशल चांस', एक्साइज इंस्पेक्टर की मिलेगी नौकरी, कैबिनेट की मंजूरी

Punjab Cabinet Meeting पंजाब कैबिनेट विधायकों के बेटों को नौकरी देने के बाद अब एक मंत्री के दामाद को सरकारी जाब देेने को मंजूरी दी है। पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुर्रपीत सिंह कांगड़ के करोड़पति दामाद को एक्‍साइज इंस्‍पेक्‍टर की नौकरी मिलेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 10:07 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 08:24 AM (IST)
पंजाब के मंत्री कांगड़ के करोड़पति दामाद को 'स्पेशल चांस', एक्साइज इंस्पेक्टर की मिलेगी नौकरी, कैबिनेट की मंजूरी
कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्‍व वाली कैबिनेट ने एक मंत्री के दामाद को नौकरी देन की मंजूरी दी। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार ने विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने के बाद अब राज्‍य के एक मंत्री के दामाद काे सरकारी जाब देेने का फैसला किया है। राजस्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ के दामाद गुरशेर सिंह को कर एवं आबकारी विभाग में अनुकंपा के आधार पर इंस्पेक्टर की नौकरी देने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। नियमों के अनुसार आवेदन की समय सीमा निकल चुकी थी, लेकिन उन्हें 'स्पेशल चांस' देते हुए यह नौकरी दी गई है। वी करोड़ों की संपत्ति के मालिक बताए जाते हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्‍यक्षता में हुई कैबिनेट की वर्चुअल मीटिंग के दौरान किसी भी मंत्री ने इस प्रस्‍ताव विरोध नहीं किया।

पिता भूपजीत सिंह की शिकायत पर पकड़ा गया था पीपीएससी घोटाले का मुख्य आरोपित

गौरतलब है कि गुरशेर सिंह के पिता भूपजीत सिंह ने वर्ष 2022 में पंजाब पब्लिक सर्विस कमिशन (पीपीएससी) में हुए नौकरी घोटाले के आरोपित तत्कालीन चेयरमैन रवि सिद्धू को पकड़वाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। सिद्धू पर लाखों रुपये लेकर नौकरियां देने का आरोप था।

2011 में आबकारी विभाग में कार्यरत पिता की हो गई थी मृत्यु, इसी के बदले मिलेगी जाब

भूपजीत सिंह की शिकायत पर ही विजिलेंस विभाग की टीम ने रवि सिद्धू को पांच लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। भूपजीत उस समय कर एवं आबकारी विभाग में कार्यरत थे। उनकी 28 सितंबर, 2011 को मृत्यु हो गई थी। उस समय उनके बेटे गुरशेर ने अपनी ग्रेजुएशन पूरी ही की थी। आठ साल बाद भूपजीत की पत्नी जसबीर कौर ने अपने बेटे को नौकरी देने के लिए आवेदन किया था।

यह है नियम

पंजाब सरकार की नवंबर, 2002 की नीति के अनुसार यदि किसी कार्यरत कर्मचारी या अधिकारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार के सदस्य एक साल के भीतर अनुकंपा के आधार पर नौकरी की मांग कर सकते हैं। अगर आवेदन न कर पाने का कोई वाजिब कारण हो, तो कार्मिक विभाग की मंजूरी के साथ पांच साल के अंदर भी आवेदन दिया जा सकता है। लेकिन, गुरशेर सिंह के मामले में ऐसा नहीं हुआ। इसलिए मामला कैबिनेट में लाया गया, जिसमें कहा गया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता और उनके पिता के योगदान को देखते हुए एक बार 'स्पेशल चांस' देते हुए उनकी कर एवं आबकारी विभाग में नियुक्ति करने की जाती है।

 दैनिक जागरण ने उठाया था मामला

यह मामला कैबिनेट में जाने से पहले ही 'दैनिक जागरण' ने बता दिया था कि नियमों के मुताबिक एक निश्चित समय में अनुकंपा के आधार पर नौकरी के साथ-साथ आवेदक की आर्थिक स्थिति को भी देखा जाता है।  गुरशेर सिंह के पास करोड़ों रुपये की प्रापर्टी है। इसलिए संबंधित विभाग ने आवेदन काफी समय तक रोके रखा। गुरशेर ने कहा कि सरकार की ऐसी कोई पॉलिसी नहीं है कि अमीर घरानों के लोगों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती। मेरे पिता ने इतने बड़े घोटाले से पर्दा उठाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए नियमों के मुताबिक ही नौकरी दी गई है।

विपक्ष ने किया विरोध

भाजपा नेता लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि जो मंत्री और विधायक करोड़ों रुपये की के मालिक हैं, उनके बेटों और दामादों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से अच्छा है कि कैप्टन सरकार 50 हजार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करती। विपक्ष के नेता हरपाल चीमा ने कहा पावरकाम समेत कई विभागों में सेवा में रहते हुए जान गंवाने वाले कर्मचारियों के बच्चे सालों से अनुकंपा के आधार पर नौकरियां मांग रहे हैं, लेकिन कैप्टन अम¨रदर ¨सह को यह नजर नहीं आए।

पंजाब कांग्रेस महासिचव व विधायक परगट सिंह भी नौकरी देने के खिलाफ

कांग्रेस के विधायक परगट ¨सह ने कहा कि यदि अनुकंपा के आधार पर नियमों के मुताबिक नौकरी दी गई है तो ठीक है, लेकिन यदि मंत्री का दामाद होने के नाते ऐसा किया गया है तो मैं इसे सही नहीं मानता।

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