कोटकपूरा गोलीकांड के मामले में पंजाब के पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल से ढाई घंटे पूछताछ, विजय सिंगला की मौजूदगी पर सवाल खड़े
कोटकपूरा गोलीकांड के मामले में इन दिनों पंजाब में राजनीति गरमाई हुई है। इस मामले में आज एसआइटी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री व अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल से लगभग ढाई घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ बादल के चंडीगढ़ आवास पर हुई।
जेएनएन, चंडीगढ़। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से जुड़े कोटकपूरा गोलीकांड मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआइटी) की स्थिति उस समय मुश्किल भरी हो गई जब पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से जांच करने आई टीम के साथ आए डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन विजय सिंगला ने पहला सवाल पूछा कि 2015 में कोटकपूरा में चलाई गई गोली का आदेश किसने दिया था।
सवाल का जवाब देने से पहले ही बादल ने संबंधित अधिकारी से पूछा कि काका जी, आप कौन हो। सिंगला के बताने पर कि वह डॉयरेक्टर प्रॉसिक्यूशन हैं। बादल ने कहा कि आप तो एसआइटी के मेंबर ही नहीं हो, आप कैसे मुझसे सवाल पूछ रहे हो। इस पर सिंगला चुप होकर बैठ गए और बाकी की पूछताछ एसआइटी के सदस्यों एलके यादव और राकेश अग्रवाल ने ही की।
आज पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के चार सेक्टर वाले फ्लैट पर उस समय हुआ जब बादल से पूछताछ करने के लिए आई एसआइटी के साथ डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन विजय सिंगला भी आ गए और उन्होंने सवालों की शुरूआत कर दी। सूत्रों का कहना है कि इससे पहले भी शिरोमणि अकाली दल ने सिंगला के एसआइटी के साथ आने पर ऐतराज जताया, लेकिन एसआइटी के सदस्यों ने कहा कि वह डीएसपी हैं। जब बादल ने विजय सिंगला पर ही सवाल उठा दिया तो वह चुपचाप बैठ गए और कोई सवाल नहीं किया।
एसआइटी ढ़ाई घंटे तक बादल से सवाल करती रही। सिंगला भी ढाई घंटे तक कमरे में ही मौजूद रहे। प्रकाश सिंह बादल ने मीडिया से कोई बात नहीं की, लेकिन सुखबीर बादल ने आरोप लगाया कि बेअदबी के मुद्दे पर कांग्रेस राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि यह ड्रामा मुख्यमंत्री के सलाहकार भरत इंद्र सिंह चाहल की ओर से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एसआइटी का दफ्तर विजिलेंस के दफ्तर में है जिसे अप्रत्यक्ष रूप से चाहल ही चला रहे हैं। सुखबीर बादल ने कहा कि इससे पहले कुंवर विजय प्रताप सिंह ने भी इस मुद्दे पर सियासत की और बाद में वह खुद ही पॉलिटिकल पार्टी में शामिल हो गए।
एसआइटी जब पूछताछ करके चली गई तो अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रो. चंदूमाजरा, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल तथा डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि एसआइटी द्वारा बादल से पूछताछ करने के साथ-साथ अभियोजन के निदेशक को टीम का हिस्सा बनाने के लिए के लिए कांग्रेस सरकार इस पूरे मामले का राजनीतिकरण करने के लिए आमादा है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त अधिकारी विजय सिंगला (जो कोई आधिकारिक पद नहीं रखते) को भी एसआइटी टीम का हिस्सा बनाया गया है। अभियोजन पक्ष तभी कदम उठाता है, जब चालान अदालत में पेश किया जाता है। पूर्व निदेशक अभियोजन को एसआइटी टीम का हिस्सा कैसे बनाया जा सकता है।
ग्रेवाल ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल ने एसआइटी के साथ सहयोग किया। हालांकि उनकी सेहत ठीक नहीं थी। हैरानी की बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री पर धारा 307 आइपीसी के तहत दर्ज हत्या के मामले की पूछताछ की जा रही है। उन्होंने कहा कि कोटकपूरा गोलीकांड, जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ था, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के आदेश पर हुई थी, जिसने पहले फायर करने के आदेश देने से पहले लाठीचार्ज तथा फिर पानी की बौछारों का इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री से पूछताछ करने के बजाय संबंधित एसडीएम से पूछताछ की जानी चाहिए।
ग्रेवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार फायरिंग की घटना से एक रात पहले फरीदकोट डिप्टी कमिश्नर को उनके द्वारा किए गए फोन काॅल्स के मुद्दे पर बादल से पूछताछ करके अदालत की अवमानना की है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया था कि मुख्यमंत्री को डिप्टी कमिश्नर को फोन करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘यह अजीब बात है कि एसआइटी अभी भी इस मुद्दे पर सवाल कर रही है। अकाली नेता ने सवाल किया कि नए एसआइटी प्रमुख एलके यादव को एडीजीपी के रूप में रातोंरात पदोन्नत किया गया था, ताकि 32 एडीजीपीज् को एसआइटी की जांच करने में सक्षम बनाया जा सके।