Shradh 2021: कल से शुरू हो रहे श्राद्ध, इस बार दो दिन रहेगी पंचमी, जानिए श्राद्ध की तिथि और पूजन की विधि

Shradh 2021 श्राद्ध में अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान कर्म तर्पण और दान आदि किया जाता है। माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो कुछ उपाय अपनाकर उन्हें दूर किया जा सकता है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 05:05 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 05:05 PM (IST)
Shradh 2021: कल से शुरू हो रहे श्राद्ध, इस बार दो दिन रहेगी पंचमी, जानिए श्राद्ध की तिथि और पूजन की विधि
कुंडली में पितृ दोष है तो कुछ उपाय अपनाकर उन्हें दूर किया जा सकता है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। Shradh 2021: पूर्वजों को याद करने और उनके पूजन करने वाले श्राद्ध (Shradh) 20 सितंबर से शुरू हो रहे हैं, जो कि छह अक्टूबर तक चलेंगे। इस बार पंचमी का श्राद्ध 25 और 26 सितंबर को एक साथ आ रहा है जिसके चलते श्राद्ध 16 के बजाए 17 दिन होंगे और इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। पितृ पक्ष का आरंभ आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है जो आश्विन अमावस्या तिथि को समाप्त होता है। श्राद्ध में अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान कर्म, तर्पण और दान आदि किया जाता है। माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो कुछ उपाय अपनाकर उन्हें दूर किया जा सकता है।

इसमें किसी भी महीने की कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा से चतुदर्शी को हुए स्वर्गवास वालों का श्राद्ध तिथि वार किया जाता है। सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों की मानें तो श्राद्ध करने से पितरों को आत्मिक शांति मिलती है और उनकी आगे का सफर आसान हो जाता है। इसके साथ ही श्राद्ध करने वाले परिवार में सुख- स्मृद्धि का वास होता है।

ऐसे करें पूजन 

जल में काला तिल व हाथ में कुश रखकर स्वर्गीय हो चुके स्वजन का स्मरण, पूजन करना चाहिए। जिस दिन निधन की तिथि हो उस दिन अन्न व वस्त्र का दान अवश्य करना चाहिए। पितरों की तिथि पर ब्राह्मण देवता को भोजन करवाएं। कौआ को दाना चुगाएं व कुत्तों को भी भोजन दें।

कौन से दिन कौन सा श्राद्ध

तिथि           दिनांक 

    

पूर्णिमा        20 सितंबर    

प्रतिपदा       21 सितंबर   

द्वितीय         22 सितंबर

तृतीय          23 सितंबर

चतुर्थी         24 सितंबर

पंचमी         25 सितंबर

पंचमी         26 सितंबर

षष्ठी           27 सितंबर

सप्तमी        28 सितंबर

अष्टमी        29 सितंबर

नवमी         30 सितंबर

दशमी         एक अक्तूबर  

एकादशी        दो अक्टूबर

द्वादशी          तीन अक्टूबर

त्रयोदशी        चार अक्टूबर

चुतर्दशी        पांच अक्टूबर

अमावस्या       छह अक्टूबर

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अमावस्या का श्राद्ध श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन भूली-बिसरी तिथि सहित सभी का श्राद्ध किया जा सकता है। श्राद्ध या पिंडदान प्रमुखतया तीन पीढ़ियों तक के पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किए गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

                                   -पंडित अनिल शास्त्री, महाकाली माता मंदिर पंचशील एन्क्लेव, जीरकपुर।

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