मोहाली की गेटवे सिटी में 6 साल से सीवरेज कनेक्शन नहीं, गमाडा व पंचायत विभाग की लड़ाई का खामियाजा भुगत रहे लोग

लोगों ने बताया कि करीब 40 से ज्यादा घर बनकर तैयार हो चुके हैं। लेकिन सीवरेज के कनेक्शन से लेकर अन्य सुविधाएं न होने से लोगों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। गमाडा ने सीवरेज की लाइन बिछा दी है। अभी तक निकासी का प्रबंध नहीं किया है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 03:56 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 03:56 PM (IST)
मोहाली की गेटवे सिटी में 6 साल से सीवरेज कनेक्शन नहीं, गमाडा व पंचायत विभाग की लड़ाई का खामियाजा भुगत रहे लोग
सुविधाओं के अभाव में लोग यहां घर नहीं बना रहे हैं।

जागरण संवाददाता, मोहाली। मोहाली में 2015 में शुरू किया गया गेटवे सिटी प्रोजेक्ट अभी भी अधूरा है। लोगों के लिए जहां पर 417 रिहायशी प्लाटों की स्कीम निकाली गई थी। सितंबर 2016 में अलॉटियों को अलाटमेंट पत्र जारी किए गए। इसके साथ ही डेढ़ साल के अंदर यहां सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने का दावा ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) की ओर से किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

लोगों ने बताया कि करीब 40 से ज्यादा घर बनकर तैयार हो चुके हैं, लेकिन सीवरेज के कनेक्शन से लेकर अन्य सुविधाएं न होने से लोगों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। गमाडा ने सीवरेज की लाइन बिछा दी है। अभी तक निकासी का प्रबंध नहीं किया है। क्योंकि पंचायत विभाग से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। इस वजह से इस काम में देरी हो रही थी। अलॉटियों का कहना है कि उन्हें पता नहीं है कि आखिर उनके इलाके में कब विकास कार्य होंगे। जबकि उन्होंने अपनी पूरी कमाई यहां प्लाट खरीदकर मकान बनाने में लगा दी है। इसके अलावा ब्याज सहित बैंकों की किस्तें तक भर रहे हैं।

गेटवे-सिटी के सुरजीत सिंह, निरंजन, लखविंदर, राकेश कुमार, सुनीता आदि लोगों ने पटियाला की राव नदी से काफी दिक्कत है। क्योंकि इसमें कई जगह पर अवैध कब्जे हैं और बहुत से कबाड़ी इस नदी की जमीन पर प्लास्टिक का सामान तारें वगैरह जलाकर तांबा निकालते हैं। इस वजह से जहां प्रदूषण फैलता होता है। वहीं दूसरी होर पटियाला की राव नदी का प्राकृतिक बहाव बदल रहा है, जिसमें पानी के रास्ते में रुकावट के कारण यह रिहायशी इलाके की तरफ बह रही है। कई बार पुडा और प्रदूषण विभाग को लिखा गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मजबूरी में कई अलॉटी यहां पर घर तक नहीं बना रहे हैं। गमाडा को चाहिए कि इसका चैनलाइनेशन किया जाए, और इस दिक्कत को दूर करे।

लोगों ने बताया कि इलाके में रोड गलियों के ढक्कन गायब हैं। कई प्लाटों तक पहुंचने के लिए रास्ते तक नहीं हैं। दूसरा बलौंगी गांव के लोग भी गेटवे सिटी से गुजरते हैं। उन्होंने दीवार तोड़कर रास्ते बनाए हुए हैं। सफाई की उचित व्यवस्था न होने से यहां गंदगी के ढेर लगे हैं। यहां प्लान के मुताबिक कुछ नहीं किया गया है। बिजली के ट्रांसफार्मर टूट कर लटक रहे हैं। इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

लोगों ने कहा कि जब गेटवे सिटी बसाने की जब योजना निकाली थी, उस समय इस तरह का ब्रॉशर और विज्ञापन बनाया गया था कि जो भी इस प्रोजेक्ट के बारे में सुनता था, तो वह यहां पर बसाना चाहता था। लेकिन इस प्रोजेक्ट की असलियत तो एलओआइ जारी होने के बाद लोगों के सामने आई। इस प्रोजेक्ट को लेकर जो वायदे किए थे, वह तुरंत पूरे किए जाने चाहिए। गमाडा के मुख्य प्रशासक प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि उक्त समस्याओं को लेकर काम किया जा रहा है। जल्द ही सीवरेज की समस्या को हल कर दिया जाएगा।

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