स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के खिलाफ कैट पहुंचे पंजाब-हरियाणा के सात कोच, ये है मामला...

हरियाणा और पंजाब के विभिन्न जिलों में तैनात सात कोच स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (उत्तरी क्षेत्र) द्वारा एसीआर रिपोर्ट न दिए जाने के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) पहुंच गए हैंं। इसी रिपोर्ट के आधार पर उन्हें अपग्रेड पे स्केल मिलता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 05:16 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 05:16 PM (IST)
स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के खिलाफ कैट पहुंचे पंजाब-हरियाणा के सात कोच, ये है मामला...
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण CAT (कैट) का लोगो।

जेएनएन, चंडीगढ़। स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (उत्तरी क्षेत्र) की ओर से एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) नहीं देने पर हरियाणा और पंजाब के सात कोच अथॉरिटी के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) पहुंच गए हैंं। अथॉरिटी की ओर से जारी की जाने वाली एसीआर के मुताबिक ही उन्हेंं अपग्रेड सैलरी और अन्य लाभ मिलते हैंं।

यह रिपोर्ट हर वर्ष जारी की जानी थी, लेकिन कैट पहुंचे इन कोच का आरोप है कि अथॉरिटी ने पिछले एक दशक से उन्हें उनकी एसीआर रिपोर्ट नहीं दी, जिसकी वजह से उन्हें जो लाभ मिलने चाहिए थे वह नहीं मिले। वहीं, कैट ने अब इन कोचों की याचिका पर स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (उत्तरी क्षेत्र) के डायरेक्टर इनचार्ज को 16 अक्टूबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के लिए कहा है।

याचिककर्ताओं के वकील मन्नू के भंडारी ने बताया कि सभी कोच स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के उत्तरी क्षेत्रिय जिलों में बने ट्रेनिंग सेंटर में वर्ष 1986 औैर 88 में तैनात हुए थे। 1999 में अथॉरिटी की ओर से बनाई गई एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम (एसीपीएस) के तहत ग्रुप बी, सी, डी के कर्मचारियों को 12 और 24 वर्षों के बाद दो फाइनेंशियल अपग्रेडेशन देनी थी।

याचिकाकर्ताओं ने याचिका में बताया कि अथॉरिटी ने उन्हें वर्ष 2000 में पहली अपग्रेडेशन दे दी थी, लेकिन इसके बाद जब उन्हें और कई काेच को एसीआर नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 में आदेश दिए थे कि अथॉरिटी की ओर से हर कर्मचारी को उनकी हर वर्ष एसीआर जारी की जाए, जिससे वह अपने काम में सुधार कर सकेंं।

वर्ष 2009 में केंद्रीय खेल मंत्रालय ने एसीपीएस को संशोधित करते हुए नए नियम जारी किए। इन नियमों के मुताबिक कर्मचारियों को तीन अपग्रेडेशन दी जानी तय की थी, जो कि हर दस वर्ष के बाद दी जानी थी। इसके लिए कुछ नियम भी तय किए गए, ताकि जो उन नियमों को पूरा करेगा उनकी एसीआर बनाकर ही अपग्रेडेशन दी जाएगी। इसके बाद याचिककर्ताओं ने अपना प्रफ्रोमा भरकर कंपीटेंट अथॉरिटी को दे दिया, लेकिन एक दशक तक उन्हें अपनी एसीआर ही नहीं मिली।

इसके बाद अथॉरिटी ने 27 जून, 2019 को 25 कोच को तीसरे अपग्रेडेशन के मुताबिक लाभ देने का आदेश जारी कर दिया, जिनमें इन सात कोच का नाम ही नहीं था। इसके बाद एक याचिकाकर्ता अमिता ने अथॉरिटी को एप्लीकेशन लिखकर उन्हें भी तीसरा अपग्रेडेशन देने की अपील की, लेकिन अथॉरिटी ने मार्च,2020 में जवाब दिया कि उनकी एसीआर बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए उन्हें तीसरी अपग्रेडेशन का लाभ नहीं दिया गया।

भंडारी ने बताया कि हर वर्ष कर्मचारी को एसीआर दिए जाने का मकसद यही था कि अगर कर्मचारी की रिपोर्ट अच्छी नहीं आती तो वह अपने काम को और ज्यादा दुरूस्त कर सके, ताकि रिपोर्ट अच्छी रहे, लेकिन अथॉरिटी की ओर से एक दशक तक कोई एसीआर उन्हें दी हीं नहीं गई।

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