स्कूली बच्चों ने लिया ग्रीन दिवाली मनाने का संकल्प

चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण समिति (सीपीसीसी) और स्वयंसेवी संस्था कर रही प्रेरित।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 10:26 PM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 06:23 AM (IST)
स्कूली बच्चों ने लिया ग्रीन दिवाली मनाने का संकल्प
स्कूली बच्चों ने लिया ग्रीन दिवाली मनाने का संकल्प

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण समिति (सीपीसीसी) और स्वयंसेवी संस्था युवसत्ता युवाओं खास तौर से स्कूली बच्चों को इस दिवाली एंट्री क्रैकर ग्रीन दिवाली मनाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसी कड़ी में सेक्टर-41 स्थित अजीत करम सिंह इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल (ऐक्सिप्स) में एंटी क्रैकर दिवाली कैंपेन लांच किया गया। स्कूल के करीब 1500 स्टूडेंट्स को ग्रीन दिवाली मनाने के बारे में जागरूक किया गया। युवसत्ता संयोजक प्रमोद कुमार ने बताया गया कि दिवाली पर पटाखे फोड़ने की जगह घर पर बनी मिठाइयां खानी चाहिए और मिट्टी के दिए जलाने चाहिए व अपने दोस्तों को हरे पौधे गिफ्ट में देने चाहिए। कार्यक्रम के दौरान नुक्कड़ नाटक 'ग्रीन दिवाली-हैप्पी दिवाली' का मंचन किया गया। इसके बाद नुक्कड़ नाटक पर आधारित ग्रीन क्विज आयोजित किया गया, जिसके विजेताओं को स्कूल की प्रिसिपल रितु बाली और युवसत्ता के संयोजक प्रमोद शर्मा ने सम्मानित किया। चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिव टीसी नौटियाल ने कहा कि पटाखों में विभिन्न रंगों के प्रकाश का उत्पादन करने के लिए आतिशबाजी में मैटेलिक साल्ट्स का उपयोग किया जाता है। आरेंज रंग पाने के लिए कैल्शियम क्लोराइड का उपयोग किया जाता है। नौटियाल ने कहा कि इसी तरह से सोडियम नाइट्रेट, बेरियम क्लोराइड और कॉपर क्लोराइड का उपयोग एयरबस्‌र्ट्स को पीले, हरे और नीले रंग देने के लिए किया जाता है। इंडिगो और वायलेट रंगों के लिए भी सी•ायिम, पोटेशियम और रुबिडियम का उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोग पटाखे फोड़ने को पर्यावरण के हिसाब से मनोरंजन के गैर-जिम्मेदाराना रूप के रूप में देख रहे हैं। कार्यक्रम का समापन सभी स्टूडेंट्स द्वारा ग्रीन दिवाली मनाने और पटाखों से दूर रहने की शपथ लेने के साथ हुआ।

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