गठबंधन टूटने का असर चंडीगढ़ में भी, अगले साल निगम चुनाव अलग लड़ेंगे शिअद-भाजपा

हर चुनाव से पहले भाजपा-अकाली दल के लिए चार पार्षदों की सीटें छोड़ती है। हालांकि गठबंधन टूटने से चंडीगढ़ भाजपा को इस समय कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि चंडीगढ़ नगर निगम में भाजपा के 20 पार्षद हैं और अकाली दल का एक।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 10:13 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 10:13 AM (IST)
गठबंधन टूटने का असर चंडीगढ़ में भी, अगले साल निगम चुनाव अलग लड़ेंगे शिअद-भाजपा
इस समय नगर निगम की 26 सीटें हैं, अगले साल यह सीटें बढ़कर 36 होने की उम्मीद है।

चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। शिरोमणि अकाली दल का भाजपा से गठबंधन टूटने का असर चंडीगढ़ की राजनीति में भी दिखेगा। क्योंकि दोनों दल इकट्ठे होकर चंडीगढ़ नगर निगम का चुनाव लड़ते हैं। हर चुनाव से पहले भाजपा-अकाली दल के लिए चार पार्षदों की सीटें छोड़ती है। हालांकि गठबंधन टूटने से चंडीगढ़ भाजपा को इस समय कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि चंडीगढ़ नगर निगम में भाजपा के 20 पार्षद हैं और अकाली दल का एक। अकाली दल के एकमात्र पार्षद हरदीप सिंह को पिछले साल सीनियर डिप्टी मेयर का पद भी दिया गया था। अकाली दल से नगर निगम में मेयर भी रह चुका है। अकाली दल के पार्षद हरदीप सिंह इस समय स्थानीय इकाई के अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में अब गठबंधन टूटने से दोनों ही दल चंडीगढ़ के सभी वार्डों से अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे।

इस समय नगर निगम की 26 सीटें हैं, अगले साल होने वाले नगर निगम चुनाव में यह सीटें बढ़कर 36 होने की उम्मीद है। ऐसे में गठबंधन की स्थिति में अकाली दल अपनी सीटें चार से बढ़ाकर छह की मांग कर रहा था। लेकिन अब गठबंधन टूटने से राजनीति पूरी बदल गई है। गठबंधन टूटने का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। शिरोमणि अकाली दल का प्रभाव अधिकतर गांवों में है, जबकि शिरोमणि अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष रहे जगजीत सिंह कंग इस समय कांग्रेस में हैं। अकाली दल की नेता हरजिंदर कौर इस समय चंडीगढ़ कमीशन फॉर चाइल्ड राइट्स कमीशन की चेयरपर्सन हैं। चेयरपर्सन बनवाने में भाजपा नेताओं ने भी सिफारिश की थी। अब गठबंधन टूटने से शिरोमणि शिरोमणि अकाली दल को शहर में अपना दायरा बढ़ाना पड़ेगा। हरजिंदर कौर नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं। ऐसे में अब शहर में चार प्रमुख दल हो जाएंगे, जोकि अगले साल होने वाले नगर निगम चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे। जिनमें भाजपा, कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी शामिल है।

दोनों दलों का दावा : हाईकमान के निर्देश मानेंगे

दोनों दलों के नेताओं का दावा है कि आगे की राजनीति हाईकमान के निर्देश पर की जाएगी। मालूम हो कि साल 1996 से भाजपा और अकाली दल चंडीगढ़ नगर निगम का चुनाव एकसाथ लड़ रहे हैं।  चंडीगढ़ भाजपा के नेताओं का कहना है कि गठबंधन टूटने से उन्हेंं फायदा मिलेगा। अब वह अकाली दल के लिए छोड़ी जाने वाली सीटों पर भी अपने उम्मीदवार खड़े कर सकेंगे। नेताओं का कहना है कि पिछले नगर निगम चुनाव में चार सीटें अकाली दल को दी गई, लेकिन सिर्फ एक ही सीट वे जीत पाए, जबकि भाजपा ने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। जिनमें से वह 20 सीटों पर जीत दर्ज कर सके, अगर गठबंधन न होता तो अकाली दल के लिए छोड़ी जाने वाली सीटों पर भी चंडीगढ़ भाजपा के ही उम्मीदवार जीतते।

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