नवजोत सिद्धू के पंजाब कांग्रेस प्रधान बनते ही भगवंत मान को आया चैन, पढ़ें सत्ता के गलियारे से और भी खबरें
नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस प्रधान बनने से सबसे ज्यादा राहत की सांस आप के प्रदेश प्रधान भगवंत मान ने ली है। क्योंकि गाहे बगाहे यह चर्चाएं आम रहती थी कि ऐसा न होने पर सिद्धू आप में जा सकते हैं।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान इन दिनों काफी खुश नजर आ रहे हैं। उनकी खुशी का कारण नवजोत सिंह सिद्धू हैं। सुनने में थोड़ी अजीब बात लगती है कि सिद्धू कांग्रेस में हैं और भगवंत मान आम आदमी पार्टी में, फिर मान को खुशी किस बात की। दरअसल जब तक नवजोत सिद्धू को कांग्रेस का प्रधान नहीं बनाया गया था तब तक मीडिया में सिद्धू के आप में जाने की खबरें उनका चैन उड़ा रहीं थीं। वह जानते थे कि सिद्धू के सामने वह टिक नहीं पाएंगे। अगर पार्टी ने प्रदेश की कमान सिद्धू को सौंप दी तो उनका पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का सपना ध्वस्त हो जाएगा। जब से केजरीवाल ने किसी सिख को पंजाब का सीएम बनाने की घोषणा की है, तब से उन्हेंं सपने में सिद्धू ही दिखाई पड़ रहे थे। पर अब सिद्धू कांग्रेस के कप्तान बन गए हैं। मान चैन से सो रहे हैं।
रावत का आखिर एजेंडा हो गया पूरा
हरीश रावत को जब से पार्टी के प्रदेश मामलों का प्रभारी बनाया गया था, उसी दिन से वह नवजोत सिद्धू को फिर से पंजाब की राजनीति में लाने के एजेंडे पर लग गए। सिद्धू जो कैबिनेट से इस्तीफा देकर हाशिए पर जा लगे थे, को कैप्टन से रिश्ते सुधारने के लिए मनाने में रावत को काफी मशक्कत करनी पड़ी। वह दो तीन बार मुख्यमंत्री के साथ सिद्धू की मीटिंग करवाने में कामयाब हो गए। उनकी कैबिनेट में तो वापसी नहीं हुई, लेकिन पंजाब प्रदेश कांग्रेस की प्रधानगी उन्हेंं जरूर दिला दी। वह भी कैप्टन के तमाम विरोध के बावजूद। हां, इस चक्कर में बिना वजह प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ बलि का बकरा जरूर बन गए। जाखड़ भी इस अपमान को भूले नहीं। सही मौका मिलते ही उन्होंने हरीश रावत को उनका नाम लिए बगैर खूब खरी खोटी सुनाईं। एजेंडा पूरा होते ही अब रावत को नई जिम्मेदारी मिलने वाली है।
चन्नी साहब... किसी ने नहीं देखा
कई बार आपकी एक हरकत आपकी छवि को बिगाड़ देती है। मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ भी ऐसा हुआ है। महिला आइएएस को मैसेज भेजने के मामले में फंसे चन्नी खेद करके मामले से बरी हो गए हों पर उनकी छवि इससे धूमिल हो गई है। कैबिनेट कुलीग भी उनसे दूरी बनाने लगी हैं। सिद्धू के प्रधान बनने से एक दिन पूर्व जब सभी विधायक, मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के घर एक दूसरे का हाथ पकड़कर एकजुटता का दावा कर रहे थे तो चन्नी के बगल में बैठीं मंत्री रजिया सुल्ताना ने उनका हाथ नहीं पकड़ा। चन्नी ने दो बार उनका हाथ पकडऩे की कोशिश भी की। रजिया ने अपना हाथ पीछे कर लिया। पीछे खड़े जाखड़ के पीए संजीव त्रिखा ने चन्नी का हाथ पकड़कर स्थिति असहज होने से बचाई जबकि रजिया का हाथ पीछे खड़ी सत्कार कौर ने पकड़ा। ये सारा माजरा कैमरे में कैद हो गया।
100 की स्पीड है... ठुक न जाए
कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहे विवाद को थामने की पार्टी हर संभव कोशिश कर रही है, लेकिन यह थमने का नाम नहीं ले रहा। कैप्टन जो दो बार कह चुके थे कि जब तक सिद्धू माफी नहीं मांगेंगे तब तक वह उनसे बात नहीं करेंगे। सिद्धू का इस पर बयान तो कोई नहीं आया लेकिन जिस दिन उन्होंने पदभार ग्रहण किया, उस दिन वहां मौजूद कैप्टन को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वहां, कैप्टन किसी बरगद के पेड़ की तरह शांत नजर आए और उनके इसी व्यवहार के सभी कायल हो गए। सिद्धू के बारे में पंडाल में बैठे के एक सीनियर नेता ने टिप्पणी करते कहा कि पार्टी ने ऐसे नेता के हाथ में प्रदेश की कमान सौंप दी है जिसकी स्पीड सौ से ऊपर है। इतनी तेज चलने वाली गाडिय़ांअक्सर ठुक जाती हैं। कहीं यह कांग्रेस को ही न ठोक दे....।